Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 98
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11१३७४-1 11१३७५11-2 ॥१३७६॥-3 ||१३७७||-4 ||१३७८11-5 ||१३७९।-0 1३८०|-7 अणाय छत्तीसइमं अजयणं-जीवाजीवविभत्ती (१४६५) जीवाजीवविभत्तिं सुणेह मे एगमणा इओ जंजाणिऊण भिक्खू सम्मंजयइ संजमे (Hrit) जीया चेव अजीया य एस लोएवियाहिए अजीवदेसमागासे अलोगे से वियाहिए (१४६७) दबओ खेत्तओचेव कालओ मावओतहा परुयणा तेसिं मवे जीवाणमजीवाणय (१४५८) रुविणो चेवरुवीय अजीया दुविहामवे अरुवी दसहायुत्ता रुविणोय वउबिहा () धम्मस्थिकाए तसे तप्पएसे य आहिए अह तस्स देसे यतप्पएसे याहिए (१४७०) आगासे तस्स देसे यतप्पएसे य आहिए अद्धासमए चेव अरुवी दसहा मवे (१४७१) धम्माघम्मेय दो येए लोगमित्ता वियाहिया लोगालोगे यागासे समए सपयखेत्तिए (१२) धम्पाघमागासा तित्रिवि एए अणाइया अपज्जवसिया चेव सव्वदं तु वियाहिया (१४४३) समएवि संतइ पप्प एवमेव वियाहिए आएसंपप्प साईए सपञ्जवसिएविय (orer) खंधा य खंघदेसा य तप्पएसा तहेव य परमाणुणो य बोधव्या रुविणीय चउव्यिहा (१४७५) एगतेण पुहत्तेण खंघाय परमाणुय लोए गदेसे लोएप मइयच्चा ते उखेतो (Hrs६) संतईपप्प तेऽणाई अपञ्जवसियाविय ठिई पडुछ साईया सपञ्जवसिया विय (४०७) असंखकालमुक्कोसं एक्को समओ जहन्नयं अजीवाणय रुयीण ठिई एसा वियाहिया (१४७८) अणनंतकालमुक्कोसं एक्कं समयं जहन्नयं अजीवाण य रुयीणं अंतरेयं वियाहियं (१४७१) घण्णओ गंधओ चेव रसओ फासओ तहा संठाणओय विओपरिणामो तेसि पंचहा () घण्णओ परिणयाजे उपचहाते पकितिया किण्हा नीला य लोहिया हालिदासुक्किला तहा (१४८१) गंधओ परिणयाजे उ दुविहा ते वियाहिया सुब्मिगंधपरिणामा दुम्मिगंधा तहेयय १५८||-8 ||१३८२।। ॥१३८३||-10 ॥१३८४|-11 ॥१३८५1-12 ११३८६॥-13 ॥१३८७॥-14 ||१३८८11-18 १३८९11-16 ||१३९०11-17 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114