Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 43
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ३४ उत्तरायणाणि १६/५२० (५२०) नो विधूसाणुवादी हबइ से निग्गंये तं कहमिति चे । आयरियाह । विभूसालवत्तिए विभूसियसरीरे इत्विजणस्स अभिलसणिजे श्वइ तओ णं तस्स इत्विजणेणं अभिलसिज - माणस्स खंभचेरे संका या कंखा वा विइगिच्छा वा समुप्पजिजा भेदं वा लभेजा उम्मायं पाउणिञ्जा दीहकालियं या रोगायकं हवेला केवलिपनत्ताओ धम्माओ भंसेखा तम्हा खलु नो निग्गंधे विभूसाणुवादी सिया | ११ | - 11 (५२१) नो सदरुवरसगंधफासाणुवादी हवइ से निग्गंधे तं कहमिति चे आयरियाह निग्गंथरस खलु सद्दरुवरसगंधफासाणुवादिस्स बंभयारिस्स बंभचेरे संका या कंखा वा बिइ-गिच्छा वा सपुष्पज्जज्जा भेदं वा लभेजा उम्मायं या पाउणिखा दीडकालियं वा रोगायक हवेजा केवलिपत्रत्ताओ धम्माओ भंसेज्जा तम्हा खलु नो सद्दरूवरसगंधफासाणुवादी भवेज्जा से निग्गंधे दसमे वंभचेरसमाहिठाणे श्वइ ॥१२॥ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [भवंति इत्य सिलोगा तं जहा] ( ५२२ ) जं विवित्तमणाइण्णं रयिं इंथीजणेण य मरस रक्खट्टा आलयं तु निसेवए ( ५२२) मणपल्हायजणणि कामरागविवर्णि बंपचेररओ भिक्खू थीकहं तु विवञ्जए (५२४) समं च संथवं थीहिं संकहं च अभिक्खणं बंपचेररओ भिक्खू निासो परिवञ्जए (५२५) अंगपचंगसंठाणं चारुल्लवियपेहियं भचेररओ श्रीणं चक्खुगिज्झं विवज्रए (५२६) कूइयं रूइयं गीयं हसियं यणियकंदियं भचेररओ धीणं सोयगिज्झं विबज्रए (५२७) हासं किडुं रई दप्पं सहसावित्तासियाणि य मचेररओ धीर्ण नाणुचिंते कयाइवि (५२८) पणीयं मत्तपाणं तु खिप्पं भयविवढणं बंभवेररओ भिक्खू निश्चसो परिवञ्जए (१२९) धम्मलद्धं मियं काले जत्तत्यं पणिहाणवं नाइमत्तं तु मुंजेज बंभवेररओ सया (५३०) विभूसं परिवज्जेज्जा सरीरपरिमंडणं बंमचेररओ भिक्खू सिंगारत्थं न धारए (५२१) सद्दे रुचे व गंधे य रसे फासे तहेव य पंचविहे कामगुणे निासो परिवञ्जए (५५२) आलओ पीजणाइण्णो थीकहा य मणोरमा संथवो चेव नारीणं तासि इंदियदरिसणं (१३३) कइयं रुइयं गीयं हसियंभुत्तासियाणि य पणीयं मत्तपाणं च अइमायं पाणभोयणं (५३४) गत्तभूसणमिद्धं च कामभोगा य दुजया नरस्तत्तगवेसिस्स विसं तालउडं जहा For Private And Personal Use Only 1149011-2 ॥५११।।-2 ॥५१२॥1-9 ||५१३|| -4 ।।५१४11-5 १५१५।।-8 1149411-7 ||५१७11-8 1149411-9 1149911-10 ॥५२०॥-11 1143911-12 ।।५२२॥ -13

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