Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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अापणं- २३
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(८८७) ते पासे सव्वलो छित्ता निहंतॄण उवायओ मुक्कपासो लहुब्यूओ विहरानि अहं मुणी (८८८) पासा य इइ के बुत्ता केसी गोयममब्ववी केसिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्ववी (८८९) रागद्दोसादओ तिब्बा नेहपासा भयंकरा ते छिर्दितु जहानायं विहरामि जहक्कमं (८९०) साहु गोयम पना ते छित्रो मे संसओ इमो
अन्न वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा (८९१) अंतोहि अयसंभूया लया चिट्ठा गोयमा फलेइ विसभक्खीणि सा उ उद्धरिया कह (८१२) तं लयं सव्वसो छिन्ता उद्धरिता समूलियं विहरामि जहानायं मुक्को मि विसभक्खणं ( ८९३) लया य इइ का वृत्ता केसी गोयममवी केसिमेयं बुवंतं तु गोयमो इणमब्वयी ( ८९४) भवतण्डा लया वुत्ता भीमा भीमफलोदया तमुच्छितु जहानायं विहरामि महामुनी (८९५) साहु गोयम पत्रा ते छित्रो मे संसओ इमो
अनो वि संसओ मझं तं मे कहसु गोयमा (८१६) संपालिया घोरा अग्गी चिह्न गोयमा
जे उर्हति सरीरत्ये करूं विज्झाविया तुमे (८९७) महामेहप्पसूयाओ गिझ वारि जलुत्तमं सिचामि सययं देवं सित्ता नो इति मे ( ८९८) अग्गी य इइ के वुत्ता केसी गोयममब्बवी केसीमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्ववी (८१९) कसाया अग्गिणो वुत्ता सुयसीलतवो जलं सुवधारामिया संता भित्रा हुन इहंति मे (९००) साहु गोयम पत्रा ते छिनो मे संसओ इमो
अनो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा (९०१) अयं साहसिओ भीमो दुट्ठस्सो परिधावई जंसि गोयम आरूढो कहं तेण न हीरसि (१०२) पधावंतं निगिण्हामि सुयरस्सीसमाहियं
न मे गच्छइ उम्मग्गं मग्गं च पडिवज्जई (१०३) अस्से य इइ के युत्ते केसी गोयममष्यथी सीमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्बधी (९०४) मणी साहसीओ भीमो दुट्ठरसो परिधावई तं सम्मं तु निगिण्हामि धम्मसिक्खाइ कंथगं
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