Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 85
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरमपणाणि-३१/१२५ (१२३५) मएसु बंभगुत्तीसु भिक्खुधम्मम्मि दसविहि जे भिक्खू जयई निच्चं सेन अच्छइमंडले 199I10 (१२३६) उवासगाणं पडिमासुभिक्खूण पडिमासुय जेभिक्खू जयई निशंसेन अच्छइ मंडले ॥११४५/11 (१२३७) किरियासु भूयगामेसुपरमाहम्मिएसुय जेमिक्खू जयई निञ्चं से न अच्छाइ मंडले ॥११४६112 (१२३८) गाहासोलसएहिं तहा असंजम्पिय जेमिक्खू जयई निचं से न अच्छइ मंडले 1997७||-13 (१२३१) बमम्मि नायग्झयणेसु ठाणेसुयसमाहिए जेभिक्खू जयई निचं सेन अच्छइ मंडले 11११४८11-14 (१२/०) एगवीसाए सबले बावीसाए परीसहे जेभिक्खू जयई निचं सेन अच्छइ मंडले 119१४९/16 (१२४१) तेवीसइ सूयगडे रूवाहिएसु सुरेसु अ जेभिक्खू जयई निचं से न अच्छइ मंडले 11११५०116 (१२४२) पणवीसभावणाहिं उद्देसेसुदसाइणं जेभिक्खूजयईनिम्नं से न अच्छइ मंडले ।।११५१117 (१२४३) अणगारगुणेहिं च पकप्पम्मितहेव य जे मिक्खू जयई निखं से न अच्छइ मंडले ||११५२/18 (१२) पावसुरपसंगेसुमोहठाणेसु चेवय जे भिक्खू जयई निचं से न अच्छइ मंडले ॥११५३1119 (१२४५) सिद्धाइगुणजोगेसु तेत्तीसासायणासुय जेभिक्खू जयई निचं से न अच्छइ मंडले ॥११५४|-20 (१२४६) एय एएसु ठाणेसुजेभिक्खू जयई सया खिप्पं सो सम्बसंसारा विप्पमुखाइ पंडिओ -तिबेमि॥ ॥११५५|-21 • एगतीसहमअन्सपसमतं. बत्तीसइमं अज्झायण-पमायवाणं (३२४७) अचंतकालस्स समूलगस्ससव्वस्स दुक्खस्स उ जोपमोक्खो तंभासओमे पड्डुपुण्णचित्ता सूणेह एगंतहियं हियत्यं ॥१५६||-1 (१२४८) नाणस सव्वस्स पगासणाए अनाणमोहस्स विवझणाए रागस्स दोसस्सय संखएणं एगंतसोक्खं समुवेइमोक्त्रं ॥११५७1-2 (१२४१) तस्सैस मग्गो गुरुविद्धसेवा विवझणा बालजणस्स दूरा सजायएगंतनिसेवणाय सुत्तत्यसंचिंतणया धिईय ॥११५८19 (१२५०) आहारमिच्छे मियमेसणिझं सहायमिच्छे निउणत्यबुद्धि निकेयमिच्छेन्ज विवेगजोगं समाहिकामे समणे तवस्सी (१२५१) न वालमेजा निउणं सहायं गुणाहियं वा गुणओसमंधा एगो वि पायाइ वियजयंतो विहरेज कामेसु असञ्जमाणो ||११६०||-5 11११५९/-4 For Private And Personal Use Only

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