Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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॥९०८ -70
॥९०१॥ -गा
॥९१०|-T8
॥९१११॥ -79
॥९१२|| -80
९१३॥-81
॥११४il-82
॥९१५||-83
अनाप-२५ (१२३) भानु यइइ के वुत्ते केसी गोयममम्बवी
केसिमेय धुवंतं तु गोयमो इणमम्बधी (९२४) उग्गओ खीणसंसारोसवयू जिणमक्खरो
सो करिस्सइउमओयं सव्वलोयम्मि पाणिणं (१२५) साहुगोयम पन्ना ते चित्रो मे संसओ इमो
अनोविसंसओमझतं मे कहसु गोयमा (९२० सारीरमाणसे दुक्खे बन्झमाणाण पाणिणं
खेमंसिवमणाबाई ठाणं किंमत्रसी मुणी (१२७) अत्यि एगं घुवं ठाणं लोगग्गंमिदुरारुह
जत्य नवि जरामघवाहिणो येपणातहा (१२८) ठाणे यइन के वुत्ते केसी गोयममबवी
केसिमेवंबुवंतंतु गोयमो इणमबवी (१२५) निव्वाणं ति अबाई ति सिद्धी लोगग्गमेवय
खेमं सिर्व अणाबाहंगं घरति महेसिणो (१३०) तं ठाणं सासर्यवासं लोयगमिदुरारुहं
जसंपत्ता न सोयन्ति भयोहतकरा मुणी (१३१) साहुगोयम पन्ना तेछिनो मे संसओइयो
नमो ते संसयाईय सव्यसुत्तमहोयही (१२२) एवंतुसंसए छिन्ने केसीघोरपरक्कमे
अभियंदित्ता सिरसा गोयमंतुमहापसं (१३) पंचमहव्वयधम्म पडिवाइ भावओ
पुरिमस्स पछिमम्मि मागे तस्य सुहायो (९५४) केसीगोयमओ निचं तम्मिआसि समागमे
सुयसीलसमुक्कसो महत्यत्यविणिछो (९५५) तोसिया परिसा सव्वा सम्मागं समुवटिया संधुया ते पसीयंतुभयवं केसिगोयी-त्ति बेमि ।।
तेविता जगापूर्ण समत. | चउविसइमं अज्झयणं-पवपण माया (९५) अपवयणमायाओ समिई गुत्ती तहेव य
पंचेवय समिईओतओ गुतीउ आहिआ (९५७) इरियामासेसणादाणे उचारे समिई इय
मणगुती वयगुती कायगुत्तीय अट्ठमा (५८) एयाओ अहसमिईओ समासणवियाहिया
दुयालसंगंजिणक्खायं मायं जत्य उपययणं (१५) आलंबणेण कालेण मग्गेणजयणाइय
घउकारणपरिसुद्धं संजए हरिपंरिए
॥९१६।। -84
॥९१७॥-86
॥९५८|| -88
॥९१९॥ -87
॥९२०|| -80
॥९२१||-1
॥९२३11 -2
॥९२३॥
॥९२४||
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