Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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.चापपालि
1८९०||-30
॥८९१-60
॥८९२॥-81
॥८९३॥-82
1८९४|| -83
||८१५|-84
१८९६-86
||८९७|| -88
11८९८1-87
(९०१) साहु गोयम पत्राते छिनो मे संसओइमो
अमोवि संसओमहतं मे कहसु गोयमा (१०८ कुष्पहा बहवोलोए जेहिं नासतिजतुणो
अद्धाणे कांवते तंन नस्ससि गोयमा (२००) जेयमग्गेणं गच्छतिजेय उम्मागपडिया
ते सव्वे वेइया मग्झंतो न नस्सामहं मुणी (१०८) मग्गेयइइके वुत्ते केसी गोयममब्बवी
केसिमेवंबुवंतं तु गोयमो इणमबदी (१०१) कुप्पवयणपासंधी सव्वे उम्मपडिया
सम्मग्गंतु जिणक्खाय एस मागेहि उत्तमे (१७०) साहु गोयम पत्रातेछिनो मे संसओ इमो
अत्रो वि संसओमझंतं मे कहसु गोयमा (199) महाउदगवेगेण युग्ममाणाण पाणिणं
सरणंगई पइष्टाय दीवं कं मन्नसी मुणी (५२) अत्यि एगो महादीदो वारिमन महालओ
महाउदगदेगस्स गई तत्य न विझई (11) दीवे यइइ के युत्ते केसी गोयममबवी
केसिमेवं बुवंतं तु गोयमो इणमब्बवी (1) जरामरणवेगेणं युज्ममाणाण पाणिणं
धम्मोदीयो पइहाय गई सरणमुत्तमं (1) साहु गोयम पत्रातेछिनो मे संसओ इमो
अनोविसंसओ मज्झंतं मे कहसु गोयमा (1) अण्णवंसि महोहंसि नावा विपरिधावई
जंसि गोयममारूटी करपारंगमिस्ससि (110) जाउ अस्साविणी नावानसा पारस गामिणी
जानिस्साविणी नावासा उपारस्स गामिणी (114) नावापइइका वुत्ता केसी गोयममम्बावी
। केसीमेवंबवंतं तु गोयमोइणमब्बवी (४१) सरीरमाहु नाव त्ति जीवो बुझाइनाविओ
__ संसारो अण्णवो वुतो जंतरंति महेसिणो (१२०) साहु गोयम पन्नाते छिनो मे संसओइमो
अनोवि संसओमझतं मे कहसु गोयमा (२१) अंधयारे तमे घोरे विति पाणियोगहू
को करिस्सइ उनोयं सव्वलोयम्मि पाणिणं (११३) उगोविमलो माणसव्वलोयपभंकरो
सो करिस्सइ उज्जोयं सव्वलोयंमि पाणिणं
11८९९1-88
|१००॥ -88-R.
॥९०१1-80
९०२॥-70
॥९०३-71
||१०४॥-72
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॥९०६॥ -74
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