Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 76
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ॥१०८८11-28 ||१०८९11-29 अजायण-२८ (१०९८) सो होइ अभिगमरुई सुयनाणंजेण अत्यओ दिटुं एक्कारस अंगाईपइण्णगं दिडिवाओय ||१०८३11-23 (१०९१) दव्याण सव्वाभावा सव्वपमाणेहिं जस्स उवलद्धा सव्याहिं नयविहीहिं यित्याररूइति नायव्यो ॥१०८४-24 (११००) दंसणनाणचरिते तवविणए सच्चसमिइगुत्तीसु जो किरियाभवई सोखलु किरियारूई नाप ।।१०८५1-26 (1003) अणभिग्गहियकुदिट्ठी संखेवरुइत्ति होइ नायव्यो अविसारओ पवयणे अणमिग्गहिओ य सेसेसु ।१०८६|28 (११०२)जो अस्थिकायधम्म सुयधम्म खलु चरित्तधम्मंच सद्दहिइ जिणामिहियं सो धप्परूइत्ति नायव्यो ||१०८७||-27 (११०३) परमत्थसंथयो वा सुदिट्ठपरमत्थसेवणं या यि वावन्नकुंदुसणवज्जणा य सम्मत्तसद्दहणा (११०४) नस्थि चरितंसमत्तविहणं दंसणे उ भइपव्वं समत्तचरित्ताई जुगवं पुव्वं व समत्तं (११०५) नादंसणिस्स नाणं नाणेण विणा न हुंति चरणगुणा अगुणिस्स नस्थि मोक्खो नत्थि अमोक्खस्स निव्याणं . 11१०९०|-30 (११०६) निस्संकिय-निक्कंखिय-निवितिगिच्छा अमूढदिट्ठीय ___ उबबूह-थिरीकरणे यच्छल्लपभावणे अट्ठ ।।१०९१||-31 (११०७) सामाइयत्य पढमं छेदोवट्ठावणं भवे बीयं परिहारविसुद्धीय सुहमं तह संपरायं च ॥१०९२।।32 (११०८) अकसायमहक्खायं छउमत्थस्स जिणस्स वा एवं चयरितकरंचारित्त होइ आहियं ॥१०९३||-33 (११०१) तवोय दुयिहोयुत्तो बाहिरब्भतरोतहा बाहिरोछविहो वुत्तो एवमअंतरोतवो ॥१०९४|34 (100) नाणेण जाणई भावे दंसणेण य सद्दहे चरित्तेणं निगिण्हाइ तयेण परिसुज्झई ॥१०९५||-38 (११११) खवेत्ता पुवकम्माई संजमेण तयेणय सव्वदुक्खपहीणट्ठा पक्कमन्ति महेसिणो त्ति बेमि ॥ ॥१०९६।।-38 अनायीसइमं अन्झयणं समत्तं । एगूणतीसइमं अज्झयणं-सम्मत्तपरक्कमे | (१११२) सुयं मे आउसं तेणं भगवया एवयस्खायं-इह खल सम्पत्तपरक्कमे नाम अन्झयणे सपणेणं भगवया महावीरेणं कासवेण पवेइए जं सम्मं सद्दहित्ता पत्तियाइत्ता रोयइत्ता फासित्ता पालइत्ता तीरइता कित्तइत्ता सोहइत्ता आराहित्ता आणाए अणुपालइत्ता वहवे जीवा सिज्झन्ति बुज्झन्ति मुच्चन्ति परिनिव्वायन्ति सव्वदुक्खाणमंतं करेंति।१३)-1 (१९१३) तस्स णं अयमढे एवम्माहिअइ तं जहा संवेगे निव्देए धमसद्धा गुरुसाहम्मियसुस्सूसणया आलोयणया निंदणया गरिहणया सामाइए चउच्चीसत्यए वंदणे पडिक्कमणे For Private And Personal Use Only

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