Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 63
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ५४ www.kobatirth.org (८६९) घाउज्जामो व जो धम्मो जो इमो पंचसिक्खिओ देसिओ वमाणेण पासेण य महामुनी ( ८७० ) एगकापवत्राणं विसेसे किं नु कारणं धम्मे दुविहे मेहावी कहं विष्पञ्चओ न ते (८७१) तओ केसिं बुवंतं तुं गोयमो इणमब्ववी पत्रा समिक्ख धम्म तत्तं तत्तदिणिच्छियं (८७२) पुरिमा उजडा उ वंकजडा व पच्छिमा मज्झिमाउनुपन्ना उ तेण धम्मे दुहा कए (८७३) पुरिमाणं दुव्विसोज्झो उ चरिमाणं दुरनुपालओ कप्पो मज्झिमाणं तु सुविसोझो सुपालओ (८७४) साहु गोयम ! पत्रा ते छिन्नो मे संसओ इमो अन्नो वि संसओ पन्नं तं मे कहसु गोयमा (८७५) अचेलगो य जो धम्मो जो इमो संतरुत्तरी देसिओ वद्धमाणेण पासेण व महाजसा (८७८) एगकखपवत्राणं विसेसे किं नु कारणं लिंगे दुबिहे मेहावी कहं विप्पच्चओ न से (८७७) केसिमेवं बुवाणं तु गोयमो इणमब्बवी वित्राणेण समागम्म धम्मसाहणमिच्छियं (८७८) पश्चयत्यं च लोगस्स नाणाविहविगप्पणं जत्तत्वं गणत्वं च लोगे लिंगपओयणं (८७९) अह भवे पड़ना उ मोकक्खसब्भूयसाहणा नाणं च दंसणं चैव चरितं चैव निच्छए (८८०) साहु गोयम पत्रा ते छिन्नी मे संसओ इमो अनो वि संसओ मज्झं तं मे कहसु गोयमा (८८१) अणेगाणं सहस्साणं मज्झे चिट्ठसि गोयमा ते प ते अहिगच्छति कहं ते निशिया तुमे (८८२) एगे जिए जिया पंच पंचजिए जिया दस दसहा उ जिणित्ताणं सव्यसत्तू जिणामहं (८८३) सत्तू य इइ के युत्ते कैसी गोयममब्बवी तओ केसिं बुवंतं तु गोयमो इणमब्दवी (८८४) एगप्पा अजिए सत्तू कसाया इंदियाणि य Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ते जिणित्तु जहानायं विहरामि अहं मुणी (८८५) साहु गोयम पना ते छित्री मे संसओ इमो अनो वि संसओ मझं तं मे कहसु गोयमा (८८१) दीसंति बहवे लोए पासबद्धा सरीरिणी मुक्कपासो लहुलूओ कहं तं विहरसो मुणी For Private And Personal Use Only पाणि- २३/८६९ ||८५४॥ -23 ||८५५॥ -24 ||८५६॥ -25 ॥८५७॥ -28 112421-27 1124911-28 ८६०॥ -29 1126911 -30 ||८६२॥ -31 ||८६३॥ 32 ||८६४॥ -33 ||८६५|| 34 ॥१८६६ ॥ -35 |१८६७ -38 ||८६८|| 37 ||८६९॥ 38 ||90|| -38 ||99|| 40

Loading...

Page Navigation
1 ... 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114