Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 62
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 11८३६|| l८३७|| -8 ४३८||-7 11८३९|| 8 ॥८४011-9 ॥८४१11-10 12४२॥ -11 || ३||-12 ४|| -19 (८५१) आह तेणेव कालेणं धम्मतित्ययरे जिणे भगवं वसमाणि तिसव्यलोगपि विस्सुए (८५२) तस्स लोगपदीवस्स आसिसीसे महायसे भगवंगोपमे नामं विनाधरणपारए (८५३) बारसंगविऊ बुद्धे सीससंघसमाउले गामाणुगाम रीयंते से वि सायत्यिमागए (५४) कीडगं नाम उजाणं तम्मि नयरमंडले फासुए सिझसंयारे तत्य वासमुयागए (५५) केसी कुमारसमणे गोयमे य महायसे उमओवि तत्य विहरिसुअल्लीणा सुसमाहिया उमणो सीससंधाणं संजयाणं तवस्सिणं तत्य चिंता समुप्पना गुणवंताण ताइणं (५७) केरिसो वा इमो धम्मो इमो धम्मो व केरिसो आयारधम्मपणिही इमा वा सा धकेरिसी (८५८) घासनामो यजो घामो जो इमोपंचसिक्खिओ देसिओ वद्धमाणेण पासेणय महामुणी (८५९) अचेलओ यजो धम्मो जोइमो संतठत्तरो . एगकअपवाणं विसेसे किं नु कारणं (१०) अहते तत्य सीसाणं विनाय पवितक्कियं समागमे कयमई उमओ केसिगोयमा (ar) गोयमे पडिलवसीससंघसमाउले जेई कुलमवेखंतो तिंदुयं वणमागओ (41) केसी कुमारसमणे गोयमंदिस्समाग पडिरूवं पडिवत्तिसम्मं संपडिवाई (ear) पलालंफासुयं तत्य पंचमंकुसतणाणिय गोयमस्स निसेझाए खिप्पं संपणामए (447) केसी कुमारसमणे गोयमेय महायसे उमओ निसण्णा सोहंति चन्दसूरसमप्पमा (८५५) समागपाबहूतत्य पासंडा कोउगा मिगा निहत्थाणं अणेगाओ साहस्सीओसमागया (e) देवदानवगंधवाजक्खरखसकिन्नरा। अदिस्साणं च भूयाणं आसीतत्य समागमो (4) पुच्छामि ते महाभाग केसी गोयममबदी तोकेसि बुवंतं तु गोयमो इणमबवी (५८) पुच्छ मते जहिच्य ते केसि गोयममबवी सओ केसी अणुनाए गोयमंणमबाबी ।।८४५|-14 1८४६॥ -10 | ७|| -18 1621 -17 ८४९॥ -18 11८५011-10 11८५11-20 11८५२॥ -21 ८५३|| -22 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114