Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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1५४०11-14
उत्तरजायपापि-१०/१५२ (५५२) सरखपाए सुबई सेजन पडिलेहह
संथारए अणाउत्ते पावसमणित्ति वुझाई (५५३) दुखदहीविगईओ आहारेई अभिक्षणं अरए यतवोकम्मे पावसमाणि तिथुधई
॥५१॥-15 (५५४) अत्यंतम्मिय सूरम्मि आहारेई अभिक्खणं चोइओपडिचोएइ पावसमणि ति युधई
॥५४२|| -18 (५५५) आयरियपरिम्राई परपासंडसेवए। गाणंगणिए दुब्लूए पावसमणि ति दुई
॥५४॥ -17 (५५६) सयं गेहं परिवल परगेहिसि वावरे निमित्तेणं यववहरइपावसमणि त्ति नई
||५५४|| -10 (५५७) सन्नाइपिण्डंजेमेइ नेच्छई सामुदाणियं गिहिनिसेअंच वाहेइपावसमणि त्ति वुधई
॥५५५11 -19 (५५८) एयारिसे पंचकुसीलसंखुडे रूवंधरे मुणिपवराण हेतिम
अयंसि लोएविसमेव गरहिए नसे इहं नेव परत्य लोए ।।५५६||-20 (५५९) जे वञ्जए एएसया उ दोसे से सुब्बए होइ मुणीण माझे अयंसि लोए अमयं व पूइए आराइए लोगमिणं तहापरं ||५५७|| -21
त्ति बेमि स्तरसपं अापणं अमतं.
अद्वारसमं अज्झयणं-संजइजं| (१०) कम्पिल्ले नयो राया ऊदिण्णबलवाहणे नामेणं संजए नाम मिगव्यं उवणिग्गए
॥५४८|| -1 (५६१) हयाणीए गयाणीए रहाणीए तहेवय पायत्ताणीए महया सव्वओ परिवारिए
१५४९॥ -2 (५५२) मिए छुभित्ताहयगओ कंपिल्खुमाण केसरे पीए संते मिए तत्य बहेह रसमुच्छिए
॥५५०| (१३) अह केसरप्मि उजाणे अणगारे तवोधणे सम्झायझाणसंजुत्तेधपझाणं शियापई
॥५५॥4 (५४) अप्फोबमंडवम्मि शायइ नखवियासवे तस्सागए मिगे पास वहेइसे नराहिये
॥५५२॥ -6 (५१५) अह आसगओराया खिप्पमागम्म सो तर्हि हए मिए उ पसिता अणगारंतत्य पासई
॥५५३||-6 (1) अह राया तत्य संभंतो अणगारोमणाहओ मए उ मंदपुणेण रसगिद्धेण वित्तुणा
||५५४॥ -7 (५५७) आसं विसवइताणं अपगारस्स सोनियो विनएण वंदए पाए भगवं एत्य मे खमे
1५५५|| -9
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