Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 57
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ४८ ७५२||-64 11७५४||-58 ॥७५७||-50 उत्तरन्यपणाषि-२०७४ ((७१) चरित्तमायारगुणनिएतओ अनुत्तरं संजम पातियाण निससवे संखवियाण कर्म उवेइ ठाणं विउलुत्तमं धुवं ॥७५०|-32 (७६५) एयुगदंते वि महातदोधणे महामुणी महापइत्रे महायसे महानियंटिअमिणं महासुयं से काहए महया वित्यरेणं । 11७५१||-6 (७४) तुहोयसेणिओ राया इणमुदाहु कयंजली अणाहत्तं जहाभूयं सुट्ट मे उवदंसियं (७६७) तुझंसुलद्धं खु मणुस्स जमलामा सुलद्धाय तुमे महेसी तुब्बे सणाहा य सबंधवा यजमे ठिया मग्गे जिणुतमाणं ॥५३॥ -55 (७९८) सि नाहो अणाहाणं सव्वभूयाण संजया खामेमि ते महाभाग इच्छामि अणुसासिउं (७६३) पुछिऊण मए तुब्बझाणविग्योउ जो कओ निमंतिओ य भोगेहिं तं सव्वं परिसेहि मे I७५५||-57 (७७०) एवंथुणित्ताणस रायसीहो अणगारसीहं परपाइ मत्तीए सओरोहोसपरियणोसबंधवोधम्माणुरत्तोविमलेणचेयसा ॥५६॥-58 (७७१) ऊससियरोमकूवो काऊण य पयाहिणं अभिवंदिऊण सिरसा अइयाओ नराहिओ (७७२) इयरो विगुणसमिखो तिगुत्तिगुत्तोतिदण्डविरओय विहग इव विष्पमुक्को विहरइ वसुहं विगयमोहो-ति बेमि ।। ७५८|| -80 विसइमं अलपणं समतं. | एगविंसइमं अझयणं-समुद्दपालीयं (७७३) चंपाए पालिए नामसावए आसि वाणिए महावीरस्स भगवओ सीसे सो उ महप्पणो ७५९॥-1 (७७४) निग्गंथे पावयणे सावए से वि कोविए पोएणवहरते पिईनगरमागए ॥७६०॥-2 (७७५) पिहुंडे ववहरंतस्स थाणिओ देइ धूयरं तं ससतंपगिझ सदेसमह पत्यिो ॥७६१॥3 (७७) अह पालियस धरणी समुदम्मि पसवई अह बालए तहिं जाए समुद्दपालि त्ति नामए ||७६२॥4 (७७७) खेमेण आगए चंपं सादए वाणिए घरं संवाई घरे तस्स दारए से सुहोइए ॥७६३॥-5 (७७८) बावतरंकलाओ य सिक्खईनीइकोविए जोव्यणेण य संपत्रे सरुवे पियदंसणे ॥७६४||-8 (७७९) तस्स रूववई मजंपिया आणेइ यिणि पासाए कीलए रम्मे देवो दोगुंदोजहा १७६५||-7 (७८०) अह अन्नया कयाई पासायालोपणे ठिओ वज्झमंडणसोमागंवझंपासइ धन्यगं ॥७६६।-8 For Private And Personal Use Only


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