Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 59
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 10 उत्तरायणाणि-२२१७९८ १७८४।-2 ७८५||-3 ॥७८६॥4 ॥७८७॥-6 ७८८11-8 ७८९11-7 ।।७९०।-8 ||७९१||-9 ॥७९२॥-10 (७१८) तस्स मा दुवेआसी रोहिणी देवई तहा तासि दोहंदुवे पुता इहा रामकेसया। (७९१) सोरियपुरमिनयरे आसि राया महिहिए समुद्धविजए नामंरायलक्खणसंजुए (400) तस्स मजा सिवा नाम तीसे पुत्तो महायसो भगवं अरिहनैमित्ति लोगनाहे दमीसरे (201) सोऽखिनेमिनामो उ लक्खणस्सरसंजुओ असहस्सलक्खणघरो गोयमो कालगच्छवी (८०२) वझरिसहसंघयणो समघउरंसोझसोयरो तस्स रायमईकनं भजजायइ केसवो (८०३) आहसा रायवरकत्रासुसीला चारुपेहाणी सव्वलक्खणसंपना विझुसोयामणिप्पमा (20४) अहाह जगओ तीसे वासुदेवं महिटियं इहागच्छऊकुमारोजा से कवं दलामहं (201) सव्वोसहीहिण्हदिओ कयकोउयमंगलो दिवजुयलपरिहिओ आमरणेहिं विभूसिओ (lot) मतंचगंधहत्यि वासुदेवस्सजेट्टगं आरुटो सोहए अहियं सिरे चूडामणीजहा (200) अह ऊसिएणछत्तेण चामराहियसोहिए दसारचक्केण यसो सवओ परिवारिओ (402) चउरंगिणीए सेणाएरइयाए जहक्कम तुरियाण सबिनाएण दिव्वेण गगणं फुसे (401) एयारिसाएटीएजुतीए उतमाए य । नियगाओ भवणाओ निझाओ बडिपुंगवो (110) अहसो ततत्य निअंतो दिस्स पाणे मयाहुए वाडेहि पंजरेहिं च सनिसद्ध सुदुखिए (८11) जीवियंत तुसंपत्ते मंसहा मक्खियव्यए पासिता से महापत्रे सारहि इणमब्बवी (८१२) कस्स अदा इमे पाणा एए सब्वे सुहेसिणो वाडेहिं पंजरंहिच सविरुद्धाय अच्छहिं (८३) अहसारही तओ मणईएए मद्दा उ पाणिणो तुज्झविवाहकज्झम्मि मोयावेउंबहुंजणं (८11) सोऊण तस्स वयणंबहुपाणिविणासणं चिंतेह से महापत्रो साणुक्कोसे जिएहिं ऊ (61) जइमग्झकारणाएए हम्माहिति बहूं जिया नमे एयं तु निस्सेसं परलोगे भविसई ॥७९३।।-11 11७९||-12 ७९५11-13 I७९६||-14 ७९७||-15 I७९८11-16 ॥७९९||-17 100011-18 10911-18 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114