Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 52
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अव्मणं - १९ (१७५) www.kobatirth.org मुग्गरेहिं मुसंढीहिं सुलेहिं मुसलेहि य गयासं भग्गगत्तेर्हि पत्तं दुक्खं अनंतसो (६७९) खुरेहिं तिक्खधारेहिं छुरियार्हि कप्पणीहि य कप्पिओ फालिओ छिन्नो उक्कित्तो य अणेगसो (६७७) पासेहिं कूडजालेहिं मिओ या अवसी अहं चाहिओ बद्धरुद्धो वा बहू चैव विवाइओ (६७८) गलेहिं मगरजालेहिं मच्छो वा अवसो अहं उलिओ फालिओ गहिओ मारिओ य अनंतसो (६७९) वीदंसएहिं जालेहिं लेप्पाहिं सउणो विव गहिओ लग्गो बद्धो य मारिओ य अनंतसो (६८०) कुहाडफरसुमाईहिं बद्दईहिं दुमो विद कुट्टिओ फालिओ छिन्नो तच्छिओ य अनंतसो (६८१) चवेडमुट्ठिमाईहिं कुमारेहिं अयं पिव ताडिओ कुट्टिओ भिन्नो घुण्णिओ य अनंतसो (६८२) तत्ताई तंबलोहाई तउयाई सीसयाणि य पाइओ कलकलंताई आरसंतो सुमेरवं (६८३) तुहं पियाई मंसाई खण्डाई सोल्लगाणि य खाविओ मिसमंसाई अगिवण्णाइंऽगसो ( ६८४) तुहं पिया सुरा सीहू मेरओ य महूणिय पाइओ मि जलतीओ बसाओ रूहिराणि य (६८५) नियं भीएण तत्थेण दुहिएण वहिएण य परमा दुहसंबद्धा वेयणा येइया मए (६८६ ) तिव्वचंडप्पगाढाओ घोरओ अइदुस्सहा महब्मयाओ भीमाओ नरएसु वेदिता भए (६८७) जारिसा माणुसे लोए ताया दीसंति वेयणा एतो अनंतगुणिया नरएसु दुक्खवेयणा ( ६८८ ) सब्वभवेसु अस्साया वेयणा वेदिता मए निमेसंतरमित्तंपि जं साता नत्थि वेयणा (६८९) तं तिम्मापियरो छंदेणं पुत्त पव्यया Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नवरं पुण सामण्णे दुक्खं निष्पडिकम्मया (६९०) सो विंतम्मापियरो एवमेयं जहा फुडं पडिकम्मं को कुणई अरण्णे मियपक्खिणं (६९१ ) एगभूओ अरण्णे वा दहा उ चरई मिगो एवं धम्मं चरिस्सामि संजमेणं तवेण य (६९२ ) जहा पिगस्स आयंको महारण्णम्मि जायई अच्छंतं रुक्मलम्मि को णं ताहे तिगिच्छिई For Private And Personal Use Only ।।६६१ ।। -61 ||६६२॥ -62 ६६३॥ 63 HEEY-64 ||६६५॥ -85 ६६६ ॥ -68 ६६७॥ 87 ६६८॥ 68 ॥१६६९॥ -BB ॥६७०॥ 70 ।।६७१।।-71 ॥६७२॥ -72 ।।६७३ ॥ -73 ॥६७४॥ -74 १६७५ ||75 ६७६ ॥ -78 ।।६७७।। 77 ||६७८॥-78

Loading...

Page Navigation
1 ... 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114