Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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मायण-१८
॥५५६॥ -9
||५५७i -10
॥५५८॥ -11
1५५९।। -12
१५६०11 -19
||५
|| -14
||५६२।।-15
॥५६३|| -16
॥५६४|| -17
(५१) अहमोणेण सो भगवं अणगारे शाणमस्सिए
रायाणन पडिमतेइ तओ राया भयाटुओ (५६९) संजओ अहमसीति भगवं वाहराहि मे
कुछ तेएण अणगारे डहेज नरकोडिओ (५७०) अमओपत्यिवा तुब्बं अभयदाया मपाहिय
अणिचेजीवलोगम्मिकि हिंसाए पसझसी (५७१) जया सव्वं परिधाञ्ज गंतब्वमवसस्स ते
अणिजीवलोगम्मिकि रमम्मि पसनसी (१७२) जीवियं पेव सवंघ यिसंपायचंचलं
जत्थ तं मुझसी रायं पेचत्यं नावबुझसे (१७३) दाराणिय सुयाचेव मित्तायतह बंधवा
जीवंतमनुजीवंति मयं नाणुब्वयंति य (५७४) नीहरंति मयं पुता पितरं परमदुखिया
पितरो वितहा पुत्ते बंधू रायं तवं चरे (५७५) तओ तेणझिए दव्ये दारे य परिरखिए
कोलंतऽने नरारायंहद्वतहमलंकिया (५७६) तेणाविजंकय कम्मंसुहं वाजद्द वा दुई
कम्मुणा तेण संजुत्तो गच्छाई उ परं भवं (५७७) सोऊण तस्स सो धम्म अणगारस्स अंतिए
महया संवेगनिब्वेदं समावत्रो नराहिओ (५७८) संजओचइउं रज निक्खंतो जिणसासणे
गहमालिस्स भगवओ अणगारस्स अंतिए (५७९) विद्या रईपव्यइए खत्तिए परिभासद
जहा ते दीसई सवंपस ते तहामणो (५८०) किंनामे किंगोत्ते कस्सहाए घमाहणे
कह पडियरसी बुद्धे कह यिणीए त्ति वुद्यसि (५८१) संजओ नाम नामेणंतहा गोत्तेण गोयमो
गहभाली ममायरिया विजाचरणपारगा (५८२) किरियं अकिरियं विनयं अन्नाणं च महापुणी
एएहिं घउहि ठाणेहिं मेयने किं पभासई (५८३) इइ पाउको बुद्धे नायए परिनिव्युडे
विजाचरण संपत्रे सझे सच्चपरक्कमे (५८४) पति नरए घोरेजे नरापावकारिणो
दिव्वं च गई गच्छंति चरित्ता धप्पमारियं (५८५) मायवुयइमेयं तु मुसामासा निरत्यिया
संजमपाणोऽवि अहंवसामि इरियामि य
॥५६५|| -1a
॥५६६|| -19
॥५६७|| -20
॥५६८11-21
||५६९1-22
||५७०॥ -23
।।५७१।। -24
॥५७२।। -26
॥५७३।। -26
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