Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 44
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अन्यपणं-१६ (५३५) दुअए कारभोगे य निद्यसो परिवाए संकट्ठाणाणि सव्वाणि च झा पणिहाणवं 1५२३||-14 (५३) धम्मारामे चरे भिक्खू धिमधामसारही एम्मारामरए दंते बंभचेरसमाहिए ।।५२४||-15 (५५७) देवदानवगंधच्याजक्खरक्खसकिनरा बंपयारिं नमसंति दुककरंजे करंतितं ॥५२५|| -10 (५३८) एस धम्मे धुवे निघे सासए जिणदेसिए सिद्धा सिझंति चाणेण सिज्झिस्संति तहायरे-तिबेमि ॥ ॥२६॥-17 सोलतमं अध्ययणं समत्तं . सतरसमं अज्झयणं-पावसमणिज्ज (५३९) जे केइ उ पव्वइए नियंठे धम्म सुणिता विणओवक्ने सुदुल्लई लहिउंबोहिलाभविहरेज पच्छा यजहासुहंतु ॥५२७|| -1 (५४०) सेजा दढा पाउरणम्मि अत्यि उप्पजई पोत्तुं तहेव पाउं जाणामिजं वइ आउसुत्ति किं नाम काहामि सुएण भंते ॥५२८॥-2 {५४१) जे केई पव्यइए निहासीले पगामसो मोघा पेचा सुहं सुबइ पावसमणि त्ति वुचई ।१५२९|| -3 (५४२) आयरियउवज्झाएहिं सुयं विनयं च गाहिए ते चेव खिसई वाले पावसमणि त्ति वुधई (५४३) आयरियउवज्झायाणं सम्मंनो पडितप्पा अप्पडिपूयए यद्धे पावसमणि त्ति वुच्चई ॥५३१।। -5 (५४४) सम्ममाणे पाणाणि बीयाणि हरियाणिय असंजए संजयमत्रमाणो पावसमणि त्ति बुधई (५४५) संपारं फलगं पीढं निसेझं पायकंबलं अप्पमज्जियमारुहइ पावसमणि त्ति वुद्यई ॥५३३१] -7 (५४६) दवदयस्स चाई पमतेय अभिक्खणं उल्लंघणे य चंडे य पावसमणि त्ति वुच्चाई ॥५३४॥ -8 (५४७) पडिलेहेइपमते अवज्झइपायकंबलं पडिलेहणाअणाउते पावसमणि तिदुच्चई ॥५३५|| -9 (५४८) पडिलेहेइ पपत्ते से किंचि हुनिसामिया गुरुपारिपावए निच्चं पावसमणि त्ति युधई ॥५३६|| -10 (५४९) बहुमाई पमुहरे यद्धे लुद्धे अणिग्गहे असंविभागी अवियत्तेपायसमणि ति युद्धई ॥५३७॥ •11 (५५०) विवादं च उदीरेइ अहम्मे अत्तपन्नहा बुग्गहे कलहे रते पावसमणि तिदुच्चई (५५१) अथिरासणे क्कुईए जत्यतत्य निसीयई आसणम्मि अणाउत्ते पावसपणि ति वुचई 11५३०|| -4 ||५३२|| -6 ||५३८॥ -12 11५३९॥ -19 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114