Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 49
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir - [प०] ||६११||-11 उत्तरखपणामि-1९/१२१ (११) देवलोग चुओ संतो माणुसं मवमागओ सण्णिनाणे समुप्पणे जाइं सरइ पुराणयं (१२२) जाईसरणे समुप्पने मियापुत्ते महिहिए सरई पोराणियंजाईसामण्णंचपुरा कर्य ॥६०८॥-8 (१२३) विसएहि अरजंतो रशंतो संजमम्मिय अम्मापियरंउवागम्म इमं वयणमब्बवी ॥६०९॥ - (१२) सुयाणि मे पंच महव्वयाणि नरएसुदुक्खं च तिरिक्खजोणिसु निविण्णकामो महण्णवाओ अणुजाणह पव्यइस्सामि अम्मो॥१०॥ - 10 (६२२) अम्मताय मए मोगा मुत्ताविसकलोदमा पच्छा कडुयविागा अणुबंधदुहावहा (१२५) इमंसरीरं अणिचं असुई असुइसंभवं असासयावासमिणं दुस्खकेसाण मायणं ||१२|| - 12 (१२७) असासए सरीरम्मि रई नोवलमामहं पच्छा पुरा व चइयचे फेणबुब्बुयसत्रिभे १६१३॥ • 13 (६२८) माणुसते असारमियाहीरोगाण आलए जरामरणपत्यभिखणंपिनरमामहं ||६१४|| - 14 (६२९) जप्पं दुक्खंजरा दुक्खं रोगाणि मरणाणिय अहो दुस्खाहुसंसारो जत्य कीप्तंतिजंतयो (10) खेत्तं वत्युं हिरणंचपुतदारंच बंधवा चइत्ताणं इमं देहं गंतव्वमवसस्स मे १६१६|| - 16 (13) जहा किंपागफलाण परिणामो नसुंदरो एवं मुत्ताण मोगाणं परिणामो न सुंदरो ||१७|| - 17 अखाणं जो महंतं तु अप्पाहेओपवाई गच्छन्तो सो दुही होइ छुहातहाए पीडिओ ||६१८- 18 (११) एवंधमंअकाऊणंजो गच्छह परंमवं गच्छन्तो सो दुही होइ वाहीरोगेहिं पीडिओ ॥६१९|| - 19 (ury अखाणंजो महंतंतुसपाहेओ पवाई। गच्छंतोसो सुही होइ छुहातहाविवझिओ ॥२०॥ - 20 (३५) एवं धम्मंपिकाऊणं जो गच्छाइ परं भवं गच्छंतोसो सुही होइ अप्पकम्मे अवेयणे ॥६२१॥ -21 (५५) जहा गेहे पलितम्मि तस्स गेहस्स जो पहू सारमंडाणि नीणेइ असारं अयउज्झाइ ॥६२२॥ - 22 (१३७) एवं लोए पलित्तम्भिजराए परणेणय अप्पाणं तारइस्सामि तुष्भेहि अणुमत्रिओ (१५८) तं बितम्मापियरोसामण्णंपुत्त दुसरं गुणाणंतु सहस्साई धारेयव्वाइंभिक्षुणो ॥६२४॥.24 ||१५|| -15 ॥६२३॥ -23 For Private And Personal Use Only

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