Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 27
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra 14 www.kobatirth.org (२५४) संसयं खलु सो कुणई जो मग्गे कुणई घरं जत्थेव गंतुमिच्छेआ तत्व कुब्वेज सासयं ( २५५) एयम निसामित्तता हेऊकारणचोइओ तओ नमि रायरिसिं देविंदो इणमम्बवी (२५६ ) आमोसे लोमहारे य गंठिभेए य तक्करे नगरस् खे काळणं तओ गच्छसि खत्तिया (२५७) एयम निसामित्ता हेऊकारणचोइओ तओ नमी रायरिसी देविंदं इणमब्बवी (२५८) असई तु मणुस्सेहिं मिच्छा दंडे पजुजई अकारिणोऽत्य बज्झति मुखई कारणो जणो (२५९) एयमटुं निसामित्ता हेऊकारणचोइओ तओ नमि रायरिसि देविंदो इणमब्बवी (२६०) जे केइ पत्थिया तुज्झं नानमंति नराहिवा वसे ते ठावइत्ताणं तओ गच्छसि खत्तिय ( २६१ ) एयम निसामित्ता हेऊकारणचोड़ओ तओ नमी रायरिसी देविंदं इणमब्बवी ( २५२ ) जो सहस्सं सहस्साणं संगामे दुञ्जए जिणे एवं जिणेज अप्पाणं एस से परमो जओ (२५३) अप्पाणमेव जुज्झाहि किं ते जुज्झेण बज्झओ अणामेवमपाणं जइत्ता सुहमेहए (२६४) पंचिंदियाणि कोहं माणं मायं तहेव लोहं च दुजयं चैव अप्पाणं सव्वं अप्पे जिए जियं (२६५) एयम निसामित्ता हेऊकारणजोइओ 'तओ नर्म रायरिसिं देविंदो इणमम्बदी (२६६) जइत्ता विउले जने भोइसा समणामाहणे दहा भोचा य जिट्ठाय तओ गच्छसि खत्तिया (२५७) एयम निसामित्ता हेऊकारणचोइओ तओ नमी रायरिसी देबिंदं इणमब्बवी (२५८) जो सहस्सं सहस्साणं मासे मासे गवं दर तस्स वि संजमो सेओ अर्दितस्स वि किंचणं (२६९) एयमठ्ठे निसामित्ता हेऊकारणचोइओ तओ नर्म रायरिसिं देविंदो इणमब्बवी (२७० ) घोरासमं चइत्ताणं अन्नं पत्येसि आसमं इहेव पोसहरओ मवाहि मणुयाहिवा (२७१) एयम निसामित्ता हेऊकारणचीइओ तओ नमी रायरिसी देबिंदं इणमब्बची Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir For Private And Personal Use Only उत्तरायणाणि - १/२५४ ॥२५३॥ -26 ||२५४|| -27 ।। २५५|| -28 ॥२५६ ॥ -28 ॥२५७॥ 90 ॥२५८॥ 31 ॥२५९॥ -32 ॥२६० ॥ ३३ ॥२६१ ॥ 34 ॥२६२॥ 36 ॥२६३॥ 38 ।।२६४।। 37 ||२६५॥ 38 ||REE|| -39 ||२६७|| -40 ||२६८|| -41 ॥२६९॥ 42 ॥२७०॥ -43

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