Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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मायण
IR३५11-8
॥२३॥
IR३७॥ -10
२३८|| -11
॥२३९|| -12
२४०|| -13
२४१11-14
२४२1-15
॥२३॥-18
(२५६) एयमझुनिसामिता हेऊकारणथोइओ
नओनमी रापरिसी देविदंइणमखवी (२५७) पिहिलाए चेहए वच्छे सीयच्छाए मनोरमे
पत्तपुप्फकलोवेए बहूर्ण बहुगुणे सया (२५८) वारण होरमाणमिचेइयमि मणोरमे
दुहिया असरणा अत्ता एए कदंति मोखगा (२३९) एयमह निसामित्ता हेऊकारणचोइओ
तओनर्मि रापरिसिं देविदा इणमब्बवी (३४०) एस अग्गीयवाऊय एवंडग्झइ मदिर
भयवं अंतेउरं तेणं कीसणं नायपेक्खह (३४७) एयमट्ठ निसामित्ता हेऊकारणचोहो
तओ नमि रायरिसी देविंदं इणमब्बवी (३४२) सुहं वसामो जीवामो जेसि भो नत्यि किंचण
मिहिलाए डज्झमाणीए न मे डज्झइ किंचण (२४३) चत्तपुत्तकलत्तस्स निव्वावारस्स भिक्खुणो
पियं न विप्लई किंचि अप्पियं पिन विजए (२४) बहुंखु मुणिणो मई अणगारस्स मिक्खुणो
सव्वओ विप्पमुक्कस्स एगतमणुपस्सओ (२४५) एयमष्टुं निसामित्ता हेऊकारणचोइओ
तो नमि रायरिसिं देविंदो इणमम्बवी (२४६) पागारं कारइताणं गोपुरष्टालगाणिय
उस्सूलगसपग्घीओ तओ गच्छसि खत्तिया (२४७) एयमइंनिसामित्ता हेऊकारणचोइओ
तओ नमीरायरिसी देविदं इणमब्बवी (२४८) सद्धं नगरं किया तयसंवरमागलं
खंति निउणपागारं तिगुत्तंदुप्पधंसयं (२४१) घjपरक्कम किडाजीवंचइरियं सया
घि च केयणं किच्चाण समेण पलिमंयए (२५०) तवनारायजुत्तेण पूर्ण कामकंचुयं
मुणी विगपसंगामो मवाओ परिमुभए (२५१) एयमष्ठं निसामित्ता हेउकारणचोइओ
तओ नमि रायरिसिं देविदं इणमब्बवी (२५२) पासाए कारइताणं वद्धमाणिहाणिय
वालग्गपोइयाओ य तओ गच्छसि खतिया (३५३) एयमष्ठं निसामिता हेऊकारणचोइओ
तमो नमीरायरिसी देविदं इणमब्बवी
IR
-17
२४५11-18
॥२४॥-19
॥२७॥ -20
॥२४८॥ -21
॥२४९॥ -22
२५०11-23
॥२५॥ -24
॥२५२|| -25
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