Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अझयण
.
||२०|-24
।।२०२॥-25
॥२०३।। -28
२०४।। -27
॥२०५|| -28
||२०६11-29
॥२०७|| -30
(२०२) कुस'गमेत्ता इमे कामा सत्रिरूद्धमि आउए
कस्स हेउं पुराकाउंजोगक्षेमं न संविदे (२०३) इह कामाणियट्टस्स अत्तढे अवरज्झई
सोया नेयाउयं मग्गंजंभुजो परिभस्सई (२०४) इह कामणियद्देस्स अत्तले नावरज्झई
पूइदेहनिरीहेणं भवे देवि त्ति मे सुयं (२०५) इटी जुई जसो दण्णो आउं सुहमनुत्तरं
भुजो जत्य मणुस्सेसु तत्य से उववज्जई (२०१) बालस्स पस्स बालतं अहम पडिवज्जिया
विद्या धम्म अहम्मिटेनरए उवयाई (२०७) धीरस्स पस्सधीरत्तं सच्चधम्माणुयत्तिणो
विद्या अधम्मं धम्मिट्टे देवेसु उववजई (२०८) तुलियाण बालभावं अबालं चेयपंडिए चइऊण बालभावं अबालं सेवई मुणि -त्ति बेमि
स्त्तमंअलपणं समतं.
अहमं अज्झयणं-काविलीयं (२०९) अधुवे अससायभि संसारम्मि दुक्खपउराए
किं नाम होजतं कम्मयंजेणाहं दुग्गडं न गच्छेखा (२१०) विजहित्तु पुब्बसंजोयं न सिणेहं कहिंचि कुवेना
असिणेहसिमेहकरहिं दोसपओसेहि मुच्चए भिक्खू (२११) तो नाणदंसणसमग्गो हियनिस्सेसाय सबजीवाणं
तेसिं विमोक्खणवाए भासई मुणिवरो विगयमोहो (२१२) सव्वंगंथं कलहं च विप्पजहे तहाविहं भिक्खू
सव्वेसु कामजाएसु पासमाणो न लिप्पई ताई (२१३) भोगाभिसदोसविसने हियनिस्सेयसबुद्धियोन्नत्ये
बाले य मंदिए मूढे बन्झई मच्छिया खेलम्मि (२१४) दुष्परिचया इमे कामा नो सुजहा अधीरपुरिसेहिं
अह संति सुब्बया साहू जे तरंति अतरं वणिया वा (२१५) सपणा मुएगे वयमाणा पाणवहे मिया अयाणंता
मंदा निरयं गच्छंति बाला पावियाहिं दिट्ठीहिं (२१६) नहुपाणवहं अणुजाणे मुखोज कयाइ सव्वाखाणं
एवं आयरिएहिं अक्खायं जेहिं इमो साहधम्मो पन्नत्तो (२१७) पाणेय नाइवाएजा से समीइत्ति बुधई ताई
तओ से पावयं कम्पनिलाइ उदगंव चलाओं (२१4) जगनिस्सिएहिं भएहि तसनामेहि थावरेहिं च
नो तेसिमारभेदंईमणसा वयसा कायसा चैव
||२०८॥ -1
॥२०९-2
11२१०| -3
२१91-4
||२१२| -5
॥२१३|| -6
॥२१४||-7
॥२१५॥ -8
||२१६|| -9
॥२१७|| -10
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114