Book Title: Agam 43 Uttarajjhayanam Mulsutt 04 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir नमो नमो निम्मलदसणस्त पंचम गणपर श्री समर्मा स्वामिने नमः ४३ उत्तरज्झयणाणि चउत्थं मूलसुत्तं पढमं अज्झयणं-विनयसुर्य ||||-1 |२||-2 ॥३॥-3 ||४||-4 ॥५11-6 IE|1-8 ||७||-7 (१) संजोगा विप्पमुक्कस्स अणगारस्स भिक्षुणो। विनयं पाउकरिस्सासि आणुपुखि सुणेह में आणानिसकरे गुरुणमुवयायकारए। इंगियागारसंपने सेविणीए ति युच्चई आणाऽनिद्देसकरे गुरुणमणुववायकारए । पडिणीए असुंयुद्धे अविणीए ति वुच्चई जहा सुणी पूइकत्री निक्कसिजई सच्चसो। एवं दुस्सीलपडिणीए मुहरी निक्कसिआइ कणकुंडगंचइताणं विट्ठ भुंजइ सूयरे । एवं सीलं चइताणं दुस्सीलं रमई मिए सुणिया मायं साणस्स सूयरस्स नरस्सय। विणए ठवेज अप्पाणंइच्छंतो हियपप्पणो तम्हा विनयमैसेजा सील पडिलमेजओ। बुद्धपुत्तनियागठ्ठी ननिककसिझइ कण्हई निसंते सियामुहरी बुद्धाणं अंतिए सया। अजुत्ताणि सिक्खिना निरवाणि उ वजए अणुसासिओ न कुप्पिा खंति सेविज पंडिए। खुड्डेहिं सह संसगि हासंकीइंच वजए मा य चंडालियंकासी बहुयं माय आलये। कालेणं य आहिजित्ता तओझाइज एगगो आहब चंडालियंकटुन निण्हविज्ज कयाइ वि । कई कडे ति मासेना अकडं नोकडे त्तिय पा गलियस्सेव कसं वयणमिच्छे पुणो पुणो। कसं वदनुमाइण्णे पावगं परिवाए अणासवा यूलक्या कुसीला मिपि चंडं पकरेंति सीसा | चिताणुया हुदुक्खोववेया पसायए तेहुदुरासयंपि नापुष्टी वागरे किंवि पुठी वा नालियं वए। कोहं असचं कुब्वेमा थारेमा पियमप्पियं 1८11-8 ||९|1- ||१०||-10 ||990-11 ||१२|1-12 |१३||-13 ||१४||-14 For Private And Personal Use Only

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