Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय प्रतिपत्ति : परिषदों और स्थिति आदि का वर्णन ]
[९९ मज्झिमियाए छच्च देवीसयाणि, बाहिरियाए पंच देवीसयाणि पण्णत्ताई।
सक्कस्स णं भंते! देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता? एवं मज्झिमियाए बाहिरियाएवि पुच्छा?
गोयमा! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं पचंपलिओवमाइ ठिई पण्णत्ता, मज्झिमिया परिसाए चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए देवाणं तिण्णि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता। देवीणं ठिइ अभितरियाए परिसाए देवीणं तिन्नि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, मज्झिमियाए दुन्नि पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए एगं पलिओवमं ठिई पण्णत्ता। अट्ठो सो चेव जहा भवणवासीणं।
१९९. (अ) भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र की कितनी पर्षदाएं कही गई है?
गौतम! तीन पर्षदाएं कही गई हैं - समिता, चण्डा और जाया। आभ्यंतर पर्षदा को समिता कहते हैं , मध्य पर्षदा को चण्डा और बाह्यपर्षदा को जाया कहते हैं।
भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र की आभ्यंतर परिषद् में कितने हजार देव हैं , मध्य परिषद् और बाह्य परिषद् में कितने-कितने हजार देव हैं?
गौतम! देवेन्द्र देवराज शक्र की आभ्यन्तर परिषद् में बारह-हजार देव, मध्यम पषिद् में चौदह हजार देव और बाह्य परिषद् में सोलह हजार देव हैं । आभ्यन्तर परिषद् में सात सौ देवियां मध्य परिषद् में छह सौ और बाह्य परिषद् में पांच सौ देवियां हैं। ____ भगवन् ! देवेन्द्र देवराज शक्र की आभ्यन्तर परिषद् के देवों की स्थिति कितनी कही गई है? इसी प्रकार मध्यम और बाह्य परिषद् के देवों की स्थिति कितनी कितनी है?
गौतम! देवेन्द्र देवराज शक्र की आभ्यन्तर परिषद् के देवों की स्थिति पांच पल्योपम की है, मध्यम परिषद् के देवों की स्थिति चार पल्योपम की है और बाह्य परिषद् के देवों की स्थिति तीन पल्योपम की है । आभ्यन्तर परिषद् की देवियों की स्थिति तीन पल्योपम, मध्यम परिषद की देवियों की स्थिति दो पल्योपलम और बाह्य परिषद् की देवियों की स्थिति एक पल्योपम की है। समिता, चण्डा और जाया परिषद् का अर्थ वही है जो भवनवासी देवों के चमरेन्द्र के प्रसंग में कहा गया है।
१९९ (आ) कहि णं भंते! ईसाणकाणं देवाणं विमाणा पण्णत्ता? तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देविंदे देवराया जाव विहरइ। ईसाणस्स भंते! देविंदस्स देवरन्नो कई परिसाओ पण्णत्ताओ?
गोयमा! तओ परिसाओ पण्णत्ताओ, तं जहा-समिया, चंडा, जाया। तहेव सव्वं, णवरं अभितरियाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, मज्झिमियाए परिसाए वारस देवसाहस्सीओ पण्णत्ताओ, बाहिरियाए चउद्दस देवसाहस्सीओ।देवीणं पुच्छा? अभितरियाए नव देवीसया पण्णत्ता, मज्झिमियाए परिसाए अट्ठ देवीसया पण्णत्ता, बाहिरियाए परिसाए सत्त देविसया पण्णत्ता।