Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti
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तृतीय प्रतिपत्ति: परिषदों और स्थिति आदि का वर्णन]
[१०३ णं देविंदस्स तओ परिसाओ पण्णत्ताओ।अभितरियाए देवाणं पणवीसं सयं, मज्झिमपरिसाए अड्डाइज्जासया, बाहिरियपरिसाए पंचसया। अधिभतरियाए एक्कवीसं सागरोवमाइं सत्त य पलिओवमाइं, मज्झिमाए, एक्कवीसं सागरोवमाइं छप्पलिओवमाइं, बाहिरियाए एक्कवीसं सागरोवमाइं पंच य पलिओवमाइं ठिई पण्णत्ता।
कहि णं भंते! हे ट्ठि मगेवेज्जगाणं देवाणं विमाणा पण्णत्ता? कहि णं भंते! हेट्ठिमगेवेज्जगा देवा परिवसंति? जहेव ठाणपदे तहेव; एवं मज्झिमगेवज्जगा उवरिमगेवेज्जगा अणुत्तरा य जाव अहमिंदा नामं ते देवा पण्णत्ता समणाउसो!
१९९. (उ) आनत-प्राणत देवलोक विषयक प्रश्न के उत्तर में कहा गया है कि प्राणत देव की तीन पर्षदाएं हैं । आभ्यन्तर पर्षद में अढाई सौ देव हैं, मध्यम पर्षद में पांच सौ देव और बाह्य पर्षद में एक हजार देव हैं, आभ्यन्तर पर्षद के देवों की स्थिति उन्नीस सागरोपम और पांच पल्योपम है, मध्यम पर्षद के देवों की स्थिति उन्नीस सागरोपम और चार पल्योपम की है, बाह्य पर्षद के देवों की स्थिति उन्नीस सागरोपम और तीन पल्योपम की है । पर्षदा का अर्थ पहले की तरह करना चाहिए।
भगवन् ! आरण-अच्युत देवों के विमान कहां कहे गये हैं -इत्यादि कथन करना चाहिए यावत् वहां अच्युत नाम का देवेन्द्र देवराज सपरिवार विचरण करता है। देवेन्द्र देवराज अच्युत की तीन पर्षदाएं हैं। आभ्यतर पर्षद में एक सौ पच्चीस देव, मध्य पर्षद में दो सौ पचास देव और बाह्य पर्षद में पांच सौ देव हैं । आभ्यन्तर पर्षद के देवों की स्थिति इक्कीस सागरोपम और सात पल्योपम की है, मध्य पर्षद के देवों की स्थिति इक्कीस सागरोपम और छह पल्योपम की है, बाह्य पर्षद के देवों की स्थिति इक्कीस सागरोपम और पांच पल्योपम की है।
भगवन् ! अधस्तन-ग्रैवेयक देवों के विमान कहां कहे गये हैं? भगवन् ! अधस्तन-प्रैवेयक देव कहां रहते हैं? जैसा स्थानपद में कहा है वैसा ही कथन यहां करना चाहिए। इसी तरह मध्यम-ग्रैवेयक, उपरितन-ग्रैवेयक और अनुत्तर विमान के देवों का कथन करना चाहिए। यावत् हे आयुष्मन् श्रमण! ये सब अहमिन्द्र हैं -वहां कोई छोटे-बड़े का भेद नहीं है।
विवेचन - प्रस्तुत सूत्र में वर्णित विषय को निम्न कोष्टक से समझने में सुविधा रहेगीकल्पों के नाम देवों की संख्या देवी संख्या देव स्थिति देवी सौधर्म आभ्यन्तर पर्षद १२,००० ७०० ५ पल्यो . मध्यम पर्षद १४,०००
४ पल्यो . बाह्य पर्षद १६,००० ५००
३ पल्यो. ईशान आभ्यन्तर पर्षद १०,००० ९००
७ पल्यो .
६००
__ २ प.
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५ प. से