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[जीवाजीवाभिगमसूत्र विकुर्वणा करते हुए वे बहुतसारे एकेन्द्रिय रूपों की यावत् पंचेन्द्रिय रूपों की विकुर्वणा कर सकते हैं। वे संख्यात अथवा असंख्यात सरीखे या भिन्न-भिन्न और संबद्ध (आत्मप्रदेशों से समवेत) असंबद्ध (आत्मप्रदेशों से भिन्न) नाना रूप बनाकर इच्छानुसार कार्य करते हैं । ऐसा कथन अच्युतदेवों पर्यन्त कहना चाहिए।
भगवन् ! ग्रैवेयकदेव और अनुत्तर विमानों के देव एक रूप बनाने में समर्थ हैं या बहुत सारे रूप बनाने में समर्थ हैं? गौतम! वे एक रूप भी बना सकते हैं और बहुत सारे रूप भी बना सकते हैं। लेकिन उन्होंने ऐसी विकुर्वणा न तो पहले कभी की है, न वर्तमान में करते हैं और न भविष्य में कभी करेंगे। (क्योंकि वे उत्तरविक्रिया करने की शक्ति से सम्पन्न होने पर भी प्रयोजन के अभाव तथा प्रकृति की उपशान्तता से विक्रिया नहीं करते ।)
भगवन् ! सौधर्म-ईशानकल्प के देव किस प्रकार का साता-सौख्य अनुभव करते हुए विचरते हैं?
गौतम! मनोज्ञ शब्द यावत् मनोज्ञ स्पर्शों द्वारा सुख का अनुभव करते हुए विचरते हैं । यह कथन ग्रैवेयकदेवों तक समझना चाहिए। अनुत्तरोपपातिकदेव अनुत्तर (सर्वश्रेष्ठ) शब्दजन्य यावत् अनुत्तर स्पर्शजन्य सुखों का अनुभव करते हैं।
भगवन् ! सौधर्म-ईशान देवों की ऋद्धि कैसी है? गौतम! वे महान् ऋद्धिवाले, महाद्युतिवाले यावत् महाप्रभावशाली ऋद्धि से युक्त हैं। अच्युतविमान पर्यन्त ऐसा कहना चाहिए।
ग्रैवेयकविमानों और अनुत्तरविमानों में सब देव महान् ऋद्धि वाले यावत् महाप्रभावशाली हैं । वहां कोई इन्द्र नहीं है । सब "अहमिन्द्र" हैं, वहां छोटे-बड़े का भेद नहीं है । हे आयुष्मान्, श्रमण ! वे देव अहमिन्द्र कहलाते हैं।
२०४. सोहम्मीसाणा देवा केरिसया विभूसाए पण्णत्ता?
गोयमा! दुविहा पण्णत्ता, तं जहा-वेउव्वियसरीरा य, अवेउव्विय-सरीरा य। तत्थ णं जे से वेउव्वियसरीरा ते हारविराइयवच्छा जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा जाव पडिरूवा। तत्थ णं जे से अवेउव्वियसरीरा ते णं आभरणवसणरहिआ पगइत्था विभूसाए पण्णत्ता।
सोहम्मीसाणेसु णं भंते! कप्पेसु देवीओ केरिसयाओ विभूसाए पण्णत्ताओ? गोयमा! दुविहाओ पण्णत्ताओ तं जहा-वेउव्वियसरीराओ य अवेउव्वियसरीराओ य। तत्थं णं जाओ वेउव्वियसरीराओ ताओ सुवण्णसद्दालाओ सुवण्णसद्दालाई वत्थाई पवर परिहियाओ चंदाणणाओ चंदविलासिणोओ चंदद्धसमणिडालाओ सिंगारागारचारुवेसाओ संगय जाव पासाइओ जाव पडिरूवाओ। तत्थ णं जाओ अवेउव्वियसरीराओ ताओ णं आभरणवसणरहियाओ पगइत्थाओ विभूसाए पण्णत्ताओ। सेसेसु देवीओ णत्थि जाव अच्चुओ।