Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 167
________________ १४८] [जीवाजीवाभिगमसूत्र असंख्येयलोकाकाशप्रदेशप्रमाण हैं । वे अनन्त नहीं हैं, क्योंकि केवलज्ञानियों ने उन्हें अनन्त नहीं जाना है। सामान्यनिगोद, अपर्याप्त सामान्यनिगोद और पर्याप्त सामान्यनिगोद संबंधी तीन सूत्र इसी तरह जानने चाहिए। इसी प्रकार सूक्ष्मनिगोद के तीन सूत्र और बादरनिगोद के भी तीन सूत्र-कुल नौ सूत्र कहे गये हैं। निगोदजीव द्रव्य की अपेक्षा से संख्यात नहीं हैं, असंख्यात नहीं है किन्तु अनन्त हैं। प्रतिनिगोद में अनन्तजीव होने से निगोदजीव द्रव्यापेक्षया अनन्त हैं। इसी तरह इनके अपर्याप्तसूत्र और पर्याप्तसूत्र में भी अनन्त कहना चाहिए। इसी प्रकार सूक्ष्मनिगोदजीव और उनके अपर्याप्त और पर्याप्त विषयक तीनों सूत्रों में भी अनन्त कहना चहिए। इसी प्रकार बादरनिगोदजीव और उनके अपर्याप्त और पर्याप्त विषयक तीन सूत्रों में भी अनन्त कहने चहिए। उक्त वर्णन द्रव्य की अपेक्षा से हुआ। प्रदेशों की अपेक्षा से निगाद और निगोदजीवों के सामान्य तथा अपर्याप्त और पर्याप्त तथा सूक्ष्म और बादर सब अठारह ही सूत्रों में अनन्त कहना चाहिए। क्योंकि प्रत्येक निगोद में अनन्त प्रदेश होते हैं। ये अठारह सूत्र इस प्रकार कहे हैं निगोद ९ तथा निगोदजीवों के ९, कुल १८ हुए। निगोदके ९ सूत्र-निगोदसामान्य, निगोद-अपर्याप्त, निगोद-पर्याप्त; सूक्ष्मनिगोदसामान्य, सूक्ष्मनिगोद अपर्याप्त, सूक्ष्मनिगोद पर्याप्त; बादरनिगोदसामान्य, बादरनिगोद अपर्याप्त और बादरनिगोद पर्याप्त। निगोदजीव के ९ सूत्र-निगोदजीवसामान्य, निगोदजीव अपर्याप्त और निगोदजीव पर्याप्त । सूक्ष्मनिगोदजीव सामान्य और इनके पर्याप्तक और अपर्याप्तक। बादरनिगोदजीव और इनके अपर्याप्त और पर्याप्त। कुल अठारह सूत्र प्रदेशापेक्षया हैं। निगोदों का अल्पबहुत्व __२२४. (अ) एएसि णं भंते! णिगोदाणं सुहुमाणं बायराणं पजत्तयाणं अपजत्तगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वपएसट्ठयाए कयरे कयरेहिंतो अप्या वा बहुया वा तुला वा विसेसाहिया वा? ___गोयमा! सव्वत्थोवा बायरणिगोदा पज्जत्तगा दव्यठ्ठयाए, बादरनिगोदा अपजत्तगा दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा, सुहुमनिगोदा अपज्जत्तगा दव्वठ्ठयाए असंखेजगुणा, सुहुमनिगोदा पज्जत्तगा दव्वट्ठयाए संखेजगुणा, एवं पएसट्ठयाएवि। दव्वपएसठ्ठयाए-सव्वत्थोवा बायरणिगोदा पज्जत्ता दव्वट्ठयासए जाव सुहमणिओदा पजत्ता दव्वट्ठयाए संखेजगुणा।सुहुमणिगोदेहित्तो पजतएहिंतो दव्वट्ठयाए बायरनिगोदा पज्जत्ता पएसठ्ठया अणंतगुणा, बायरणिओदा अपज्जत्ता पएसठ्ठयाए असंखेजगुणा जाव

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