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[ जीवाजीवाभिगमसूत्र
सौ से लेकर नौ सौ सागरोपम) है । तिर्यक्योनिकी, मनुष्य, मानुषी तथा देव, देवी सूत्र में जघन्य अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल का अन्तर है ।
अल्पबहुत्व - सबसे थोड़ी मनुष्यस्त्रियां है, क्योंकि वे कतिपय कोटिकोटिप्रमाण हैं। उनसे मनुष्य असंख्येयगुण हैं, क्योंकि सम्मूर्छिम मनुष्य श्रेणी के असंख्येयप्रदेशराशिप्रमाण हैं। उनसे तिर्यंचस्त्रियां असंख्येयगुण हैं, क्योंकि महादण्डक में जलचर तिर्यक्योनिकियों से वान - व्यन्तर- ज्योतिष्क देव भी संख्येयगुण कह गये हैं। उनसे देवियां असंख्येयगुण हैं, क्योंकि वे देवों से बत्तीस गुण हैं। उनसे तिर्यंच अनन्तगुण हैं, क्योंकि वनस्पतिजीव अनन्त हैं ।
॥ इति षष्ठ प्रतिपत्ति ॥
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१. " बत्तीसगुणा बत्तीसरूव-अहियाओ होंति देवाणं देवीओ" इति वचनात् ।