Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 237
________________ २१८] [जीवाजीवाभिगमसूत्र गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा, पढमसमयणेरइया असंखे जगुणा, पढमसमयदेवा असंखेजगुणा, पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेजगुणा। ऐएसि णं भंते! अपढ मसमयनेर इयाणं अपढ मसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाण य कयरे ०? गोयमा! सव्वत्थोवा अपढमसमयमणूसा, अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा, अपढमसमयदेवा असंखेज्जगणा. अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगणा। ____एएसिणं भंते! पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं कयरे०? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयनेरइया, अपढमसमयनेरइया असंखेज्जगुणा। एएसिणं भंते! पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणियाणं कयरे०? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयतिरिक्खजोणिया, अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। मणुयदेव-अप्पाबहुयं जहा नेरइयाणं। एएसि णं भंते! पढमसमयनेरइयाणं पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढ मसमयदेवाणं अपढ मसमयने रइयाणं अपढ मसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाणं सिद्धाण य कयरे कयरेहिंतो अप्पा०? गोयमा! सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा, अपढमसमयमणूसा असंखेजगुणा, पढमसमयनेरइया असंखेजगुणा, पढमसमयदेवा असंखेजगुणा, पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा, अपढमसमयदेवा असंखेजगुणा, सिद्धा अणंतगुणा, अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। सेत्तं नवविहा सव्वजीवा पण्णत्ता। २५७. अथवा सर्व जीव नौ प्रकार के हैं १. प्रथमसमयनै र यिक, २. अप्रथमसमयनै रयिक , ३. प्रथमसमयतिर्यग्यो निक, ४. अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक, ५. प्रथमसमयमनुष्य, ६. अप्रथमसमयमनुष्य, ७. प्रथमसमयदेव, ८. अप्रथमसमयदेव और ९. सिद्ध। भगवन्! प्रथमसमयनैरियक, प्रथमसमयनैरयिक के रूप में कितने समय रहता है? गौतम! एक समय। अप्रथमसमयनैरयिक जघन्य एक समय कम दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से एक समय कम तेतीस सागरोपम तक रहता है। प्रथमसमयतिर्यग्योनिक एक समय तक और अप्रथमसमयतिर्यग्योनिक जघन्य एक समय कम क्षुल्लक भवग्रहण तक और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल तक। प्रथमसमयमनुष्य एक समय और अप्रथमसमयमनुष्य जघन्य समय कम क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कर्ष से पूर्वकोटिपृथकत्व अधिक तीन पल्योपम तक रहता है । देव का कथन नैरयिक के समान है।

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