Book Title: Agam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni, Rajendramuni, Shobhachad Bharilla
Publisher: Agam Prakashan Samiti

Previous | Next

Page 176
________________ अष्टविधाख्या सप्तम प्रतिपत्ति] [१५७ एतेसिं पढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयणेरइयाणं य कयरे कयरेहिंतो अप्पा०? सव्वत्थोवा पढमसमयणेरइया, अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा। एवं सव्वे। पढमसमयणेरइयाणं जाव अपढमसमयदेवाण य कयरे कयरेहितो अप्पा वा०? सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा, अपढमसमयमणुस्सा असंखेजगुणा, पढमसमयणेरइया असंखेजगुणा, पढ मसमयदेवा असंखेज्जगुणा, पढ मसमयतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा, अपढमसमयनेरइया असंखेजगुणा, अपढमसमयदेवा असंखेजगुणा, अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा। सेत्तं अट्टविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता। अट्ठविहपडिवत्ती समत्ता। २२७. अन्तरद्वार-प्रथमसमयनैरयिक का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष है, उत्कृष्ट अन्तर वनस्पतिकाल है। • अप्रथमसमयनैरयिक का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। प्रथमसमयतिर्यक्योनिक का जघन्य अन्तर एक समय कम दो क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। . अप्रथमसमयतिर्यक्योनिक का जघन्य अन्तर समयाधिक एक क्षुल्लकभवग्रहण और उत्कृष्ट सागरोपमशतपृथक्त्व से कुछ अधिक है। प्रथमसमयमनुष्य का जघन्य अन्तर एक समय कम दो क्षुल्लकभव है, उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयमनुष्य का अन्तर जघन्य समयाधिक क्षुल्लकभव है और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। देवों के सम्बन्ध में नैरयिकों की तरह कहना चाहिए। जैसे कि प्रथमसमयदेव का जघन्य अन्तर्मुहूर्त अधिक दस हजार वर्ष और उत्कर्ष से वनस्पतिकाल है। अप्रथमसमयदेव का जघन्य अन्तर अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्ट वनस्पतिकाल है। ___ अल्पबहुत्वद्वार-भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिकों यावत् प्रथमसमयदेवों में कौन किससे कम, अधिक, तुल्य या विशेषाधिक है? गौतम! सबसे थोड़े प्रथमसमयमनुष्य, उनसे प्रथमयसमयनैरयिक असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयदेव असंख्येयगुण, उनसे प्रथमसमयतिर्यक्योनिक असंख्येयगुण। अप्रथमसमयनैरयिकों यावत् अप्रथमसमयदेवों का अल्पबहुत्व उक्त क्रम से ही है, किन्तु अप्रथमसमयतिर्यक्योनिक अनन्तगुण कहने चाहिए। भगवन् ! प्रथमसमयनैरयिकों और अप्रमसमयनैरयिकों में कौन किससे अल्पादि हैं? गौतम!

Loading...

Page Navigation
1 ... 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242