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तृतीय प्रतिपत्ति : परिषदों और स्थिति आदि का वर्णन ]
कल्पों के नाम
देवों की संख्या
९-१०. आनत - प्राणत आभ्यन्तर पर्षद मध्यम पर्षद
बाह्य पर्षद
११-१२. आरण-अच्युत
आभ्यन्तर पर्षद
मध्यम पर्षद बाह्य पर्षद
अधस्तन-ग्रैवेयक
मध्यम-ग्रैवेयक
उपरितन - ग्रैवेयक
२५०
५००
१,०००
१. सौधर्म देवलोक में
२. ईशान देवलोक में
१२५
२५०
५००
·
देवी संख्या
देवियां नहीं
देवियां नहीं
देवियां नहीं
देवियां नहीं
देवियां नहीं
देवियां नहीं
अनुत्तर -विमान
विमानावासों की संग्रह-गाथाओं का अर्थ-
अहमिन्द्र होने से पर्षद नहीं हैं
अहमिन्द्र होने से पर्षद नहीं हैं।
अहमिन्द्र होने से पर्षद नहीं हैं
अहमिन्द्र होने से पर्षद नहीं हैं
३२ लाख विमानावास हैं
२८ लाख विमानावास हैं
१२ लाख विमानावास हैं
८ लाख विमानावास हैं
४ लाख विमानावास हैं
३. सनत्कुमार में
४. माहेन्द्र में
५. ब्रह्मलोक में
६. लान्तक में
७. महाशुक्र
में
१. बत्तीस अट्ठावीसा बारस अट्ठ चउरो सयसहस्सा । पन्ना चत्तालीसा छच्च सहस्सा सहस्सारे ॥ १ ॥ आणय-पाणय कप्पे चत्तारि सया आरण-अच्चुए तिण्णि । सत्त विमाणसयाइं चउसुबि एसु कप्पे ॥२ ॥ सामानिक संग्रह गाथा
चउरासीइ असीइ बावत्तरी सत्तरिय सट्ठी य । पण्णा चत्तालीसा तीसा वीसा दस सहस्सा ॥ १ ॥
५० हजार विमानावास हैं
४० हजार विमानावास हैं
देव
१९ सा. ५ पल्यो.
१९ सा. ४ पल्यो.
१९ सा. ३ पल्यो.
स्थिति
२१ सा. ७ पल्यो.
२१ सा. ६ पल्यो.
२१ सा. ५ पल्यो.
देवी
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