Book Title: Agam 14 Jivajivabhigama Uvangsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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जीवाजीवापिगप - 9/1१४ भंते किं सविसए आहारति अविसए आहारैति गोयमा सविसए आहारेंति नो अविसए आहारें ताई भंते कि आनुपुर्दिव आहारेंति अनाणुपुचि आहारेति गोयमा आनुसुब्धि आहारेति नो अनानुपुब्धि आहारेंति ताई भंते किं तिदिसिं आहारति चउदिसि आहारेंति पंचदिसि आहारेति छद्दिसि आहारेति गोयमा निव्वाधाएणं छद्दिसि वाघायं पडुच्च सियतिदिसिंसिय चउदिसि सिरपंचदिसिं
ओसण्णकारणं पडुच्च चण्णओ कालाई नीलाई जाव सुकिकलाई गंधओ शुभिगंधाइ दुभिगंधाइं रसओ तित्त जाव महुराई फासओ कक्खड़-मउय जाव निद्धलुकलाई तेसिं पोराणे वण्णगुणे जाव फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपीलइत्ता परिसाङइत्ता परिविद्धसइत्ता अण्णे अपुब्बे चण्णगुणे गंधगुणे रसगुणे फासगुणे उप्पाइता आयसरीरखेत्तोगाढे पोणले सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति ते णं मंते जीवा कओहिंतो उक्वजंति-किं नाइएहिंतो उववखंति तिरिक्खमणुस्स-देवेहितो उवयजंति गोयमा नो नेरइएहितो उपवनंति तिरिकखजोणिएहितो उववनंति पणस्सेहिंतो उववनंति नो देवहितो उववजंति तिरिक्खजोणियपज्जत्तापञ्जतेहितो असंखेजवासाउययजेहिंतो उवजंति मस्सेंहिंतो अकम्मभूमग-असंखेजयासाउयवन्नेहिंतो उववनंति वककंतीउववाओ भाणिचव्यो, तेसिणं भंते जीवाणं केवइवं कालं टिई पन्नता गोयमा जहण्णेणं अंतोमुहत्तं उक्कोसेणवि अंतोमहत्तं ते णं भंते जीवा मारणंतियसमाधाएणं किं सपोहया परंति असमोहया मरति गोयमा समोहयादी मरंति असमोहयावि मरंति ते णं भंते जीवा अनंतरं उव्यट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववनंति -किं नेरइएस उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववजंति मणुस्सेसु उववनंति देवेसु उववग्नति गोयमा नो नेरइएसु उववजंति तिरिक्खजोणिएसु उववनंति मणुस्सेसु उववनंति नो देवेसु उववनंति जइ तिरिक्खजोणिएम उववति किं एगिदिएसु उववनंति जाव पंचिंदिएसु उववर्जति गोयमा एगिदिएसु उववञ्जति जाव पंचेंदिवतिरिक्खजोणिएसु उववनंति असंखेजवासाउयवजेसु पजत्तापजत्तएसु उववनंति मणुस्सेसु अकम्मभूमग-अंतरदीवग-असंखेज्जवासाउयव सु पनत्तापजतएमु उबवनंति, ते णं मंते जीवा कतिगतिया कतिआगतिया पन्नता गोयमा दुगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पन्नत्ता समणाउसो से तं सुहमपुढविकाइया ।१३।-13
(१५) से किं तं वायरपुढविकाइया बायरपुदविकाइया दुविहा पत्रत्ता तं जहा-सण्हबायरपुढविक्काइया यखरवायरपुढविक्काइयाया१४-14
(१६) से किं तं सोहाबायरपुढविक्काइया सण्हवायरपुढविक्काइया सत्तविहा पत्रत्ता तं जहा-कण्हमतिया भेओ जहा पत्रवणाए जाव-ते समासओ दुविहा पन्नत्ता तं जहा-पजतगा य अपज्जत्तगा व तेसि णं भंते जीवाणं कति सरीरंगा पन्नता गोयमा तओ सरीरगा पत्रत्ता तं जहाओरालिए तेयए कम्मए तं चैव सव्वं नवरं-चत्तारि लेसाओ अवसेसं जहा सुहुमपुढविक्काइयाणं आहारो नियमा छद्दिसि उववाओ तिरिक्खजोणिय-मणुस्स-देवेहितो देवेहिं जाव सोहम्मेसाणेहितो ठिई जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं बावीसं वाससहस्साई, तेणं भंते जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहया मरंति असमोहया मरंति गोयमा समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति, ते णं भंते जीवा अनंतरं उव्वट्टिता कहिं गच्छंति कहिं उववनंति - किं नेइएस उपवनंति पुच्छा गोयमा नो नेरइएसु उववजंति तिरिक्खजोणिएसु उववजंति मणुस्सेसु उधवजंति नो देवेप्सु ज्ववजंति तं चेय जाव असंखेनवासाउयवजेहिंतो उववजंति ते णं भंते जीवा कतिगतिया कतिआगतिया पन्नत्ता गोयमा दुगतिया तिआगतिया परित्ताअसंखेलापत्रत्ता सपणाउसो से तंबायरपुढविक्काइया सेतं
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