Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 12
________________ चेव णं से असुरकुमारे असुर- कुमारत्तं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा तिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेज्जा, एवं सव्वदेवा पुढविकाइया दुगतिया दुयागतिया प० तं० - पुढविकाइए पुढविकाइएस उववज्जमा पुढविकाइएहिंतो वा नो पुढविकाइएहिंतो वा उववज्जेज्जा, से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा नो एवं जाव मणुस्सा | [ ७९] दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा - भवसिद्धिया चेव अभवसिद्धिया चेव जाव वेमाणिया | दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा अणंतरोववण्णगा चेव परंपरोववण्णगा चेव जाव वेमाणिया । दुविहा नेरइया ठाणं-२, उद्देसो-२ पण्णत्ता तं जहा- गतिसमावण्णगा चेव अगतिसमावण्णगा चेव जाव वेमाणिया । दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा- पढमसमओववण्णगा चेव अपढमसमओववण्णगा चेव जाव वेमाणिया । दुविहा नेरड्या पण्णत्ता तं जहा - उस्सासगा चेव नोउस्सासगा चेव जाव वेमाणिया । दुविहारइया पण्णत्ता तं जहा सइंदिया चेव अनिंदिया चेव जावं वेमाणिया । दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा- पज्जत्तगा चेव अपज्जत्तगा चेव जाव वेमाणिया । दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा सण्णी चेव असण्णी चेव एवं पंचेंदिया सव्वे विगलिंदियवज्जा, जाव वाणमंतरा । दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा भासगा चेव अभासगा चेव एवमेगिंदियवज्जासव्वे दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा सम्मद्दिट्ठिया चेव मिच्छाद्दिट्ठिया चेव एगिंदियवज्जा सव्वे । दुविहा णेरड्या पण्णत्ता तं जहा - परित्तसंसारिता चेव अनंतसंसारिता चेव जाव वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा- संखेज्जकालसमयद्वितिया चेव असंखेज्जकालसमयट्ठितिया चेव, एवंपंचेंदिया एगिंदियाविंगलिंदियावज्जा जाव वाणमंतरा । दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा - सुलभबोधिया चेव दुलभबोधिया चेव जाव वेमाणिया । दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा- कण्हपक्खिया चेव सुक्कपक्खिया चेव जाव वेमाणिया दुविहा नेरइया पण्णत्ता तं जहा- चरिमा चेव अचरिमा चेव जाव वेमाणिया । [८०] दोहिं ठाणेहिं आया अहेलोगं जाणइ पासइ तं जहा- समोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ-पासइ असमोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ-पासइ, आहोहि समोहतासमोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ । एवं तिरियलोगं, उड्ढलोगं, केवलकप्पं लोगं जाणइ - पास । दोहिं ठाणेहिं आया अहेलोगं जाणइ-पासइ तं जहा - विउव्वितेणं चेव अप्पाणेणं आता अहे - लोगं जाणइ-पासइ अविउव्वितेणं चेव अप्पाणेणं आता अहेलोगं जाणइ-पा० आहोहि विउव्विया विउव्वितेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ-पासइ एवं तिरियलोगं, उड्ढलोगं केवल - कप्पलोगं जाणइ-पासइ । दोहिं ठाणेहिं आया सद्दाइं सुणेति तं जहा- देसेण वि आया सद्दाइं सुणेति सव्वेणवि आया सद्दाइं सुणेति एवं रूवाई पासइ, गंधाई अग्घाति, रसाइं आसादेति, फासाइं पडिसंवेदेति । दोहिं ठाणेहिं आया ओभासति तं जहा- देसेण वि आया ओभासति सव्वेण वि आया ओभासति, एवं पभासति विकुव्वति परियारेति भासं भासति आहारेतिं परिणामेति वेदेति निज्जरेति । दोहिं ठाणेहिं देवे सद्दाई सुणेतिं तं जहा- देसेणवि देवे सद्दाई सुणेति सव्वेणवि देवे सद्दाइं सुणेति जाव निज्जरेति । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधितः ] [11] [ ३-ठाणं]

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