Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 118
________________ [७७३] जंबद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे णं रूअगवरे पव्वते अट्ठ कडा पण्णत्ता तं जहा- । [७७४] रयण-रयणुच्चए या सव्वरयण रयणसंचए चेव । विजये य वेजयंति जयंते अपराजिते । [७७५] तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महड्ढियाओ जाव पलिओवमद्वितीयाओ परिवति तं जहा- | [७७६] अलंबुसा मित्तकेसी पोंडरि गीयवारुणी । आसा सव्वगा चेव सिरी हिरी चेव उत्तरतो ।। [७७७] अट्ठ अहेलोगवत्थव्वाओ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ प०[७७८] भोगंकरा भोगवती सभोगा भोगमालिणी । स्वच्छा वच्छमित्ता य वारिसेणा बलाहगा ।। [७७९] अट्ठ उड्ढलोगवत्थव्वाओ दिसाकुमारिमहत्तरियाओ पन्नत्ताओ तं जहा [७८०] मेघंकरा मेघवती सुमेधा मेघमालिणी । ठाणं-८ __तोयधारा विचित्ताय पुप्फमाला अनिंदिता ।। [७८१] अट्ठ कप्पा तिरियमिस्सोववण्णगा पण्णत्ता तं जहा- सोहम्मे जाव सहस्सारे, एतेस् णं अट्ठसु कप्पेसु अट्ठ इंदा पण्णत्ता तं जहा- सक्के जाव सहस्सारे । ____एतेसि णं अट्ठण्हं इंदाणं अट्ठ परियाणिया विमाणा पण्णत्ता तं जहा- पालए पुप्फए सोमणसे सिरिवच्छे नंदियावत्ते कामकमे पीतिमणे विमले । [७८२] अट्ठट्ठमिया णं भिक्खुपडिमा चउसट्ठीए राइदिएहिं दोहि य अट्ठासीतेहिं भिक्खासतेहिं अहासुत्तं जाव अणुपालितावि भवति । [७८३] अट्ठविधा संसारसमावण्णगा जीवा प० तं०- जहा- पढमसमयनेरइया अपढमसमयनेरइया पढमसमयतिरिया एवं जाव अपढमसमयदेवा । अट्ठविधा सव्वजीवा पण्णत्ता तं जहा- नेरइया तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ मणस्सा मणस्सीओ देवा देवीओ सिद्धा, अहवा- अट्ठविधा सव्वजीवा पण्णत्ता तं जहा- आभिणिबोहियनाणी जाव | केवलनाणी मतिअन्नाणी सतअन्नाणी विभंगनाणी । [७८४] अट्ठविधे संजमे पन्नत्ता तं जहा- पढमसमयसुहमसंपरायसरागसंजमे अपढमसमयसुहमसंपरायसरागसंजमे पढमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे अपढमसमयबादरसंपरायसरागसंजमे पढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजे अपढमसमयउवसंतककसायवीतरागसंजमे पढमसमयखीणकसायवीतरागसंजमे अपढमसमयखीणकसायवीतरागसंजमे । [७८५] अट्ठ पुढवीओ प० तं०- रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा ईसिपब्भारा ईसिपब्भाराएणं पुढवीए बमज्झदेसभागे अट्ठज बहमज्झदेसभागे अट्ठजोयणिए खेत्ते अट्ठ जोयणाई वाहल्लेणं पन्नत्ता । ईसिपब्भाराए णं पुढवीए अट्ट नामधेज्जा पण्णत्ता तं जहा- ईसिति वा ईसिपब्भाराति वा तणूति वा तणुतणूइ वा सिद्धीति वा सिद्धलएति वा मुत्तीति वा मुत्तालएति वा । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधितः] [117] [३-ठाण]

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