Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

Previous | Next

Page 32
________________ [१७६] तिविधा लोगठिती पन्नत्ता तं जहा- आगासपइट्ठिए वाते वातपइट्ठिए उदही उइदहीपइट्ठिया पढवी, तओ दिसाओ पन्नत्ताओ तं जहा- उड्ढा अहा तिरिया, तिहिं दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति- उड्ढाए अहाए तिरियाए, ___ तिहिं दिसाहिं जीवाण-आगती वक्कती आहारे वुड्ढी निवुड्ढी गतिपरियाए समुग्धाते कालसंजोगे दंसणाभिगमे जीवाभिगमे पण्णत्ते तं जहा- उड्ढाए अहाए तिरियाए तिहिं दिसाहिं जीवाणं अजीवाभिगसे पण्णत्ते तं जहा- उड्ढाए अहे तिरियाए एवं-पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं एवं-मणस्साणवि | [१७७] तिविहा तसा पन्नत्ता तं जहा- तेउकाइया वाउकाइया उरालातसा पाणा, तिविहा थावरा पन्नत्ता तं जहा- पुढविकाइया आउकाइया वणस्सइकाइया । [१७८] तओ अच्छेज्जा पन्नत्ता तं जहा- समए पदेसे परमाणू, एवं अभेज्जा, अडज्झा, अगिज्झा, अणड्ढा, अमज्झा, अपएसा, तओ अविभाइमा पन्नत्ता तं जहा- समए पदेसे परमाणू । [१७९] अज्जोति समणे भगवं महावीरे गोतमादी समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासीकिंभया-पाणा? समणाउसो!, गोतमादी समणा निग्गंथा समणं भगवं महावीरं उवसंकमंति उवसंकमित्ता वंदंति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी- नो खलु वयं देवाणुप्पिया! एयमहूं जाणामो वा पासामो वा, तं जदि णं देवाणप्पिया एयमद्वं नो गिलायंति परिकहित्तए तमिच्छामो णं देवाणुप्पियाणं अंतिए एयमटुं जाणित्तए, अज्जोति समणे भगवं महावीरे गोतमादी समणे निग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी दुक्खभया पाणा समणाउसो! से णं भंते! दुक्खे केण कडे? जीवेणं कडे, पमादेणं| से णं भंते! दक्खे कहं वेइज्जति? अप्पमाएणं। [१८०] अन्नउत्थिया णं भंते! एवं आइक्खंति एवं भासंति एवं पण्णवेंति एवं परूवेंति कहण्णं समणाणं निग्गंथाणं किरिया कज्जति? तत्थ जा सा कडा कज्जइ नो तं पच्छंति, : कडा नो कज्जति, नो तं पच्छंति, तत्थ जा सा अकडा नो कज्जति नो तं पच्छंति, तत्थ जा सा अकडा कज्जति नो तं पुच्छंति, से एवं वत्तव्वं सिया? अकिच्चं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकज्जमाणकडं दुक्खं अकटु-अकट्ठ पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेदेतित्ति वत्तव्वं, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एवमाहंसु, अहं पुण एवमाइक्खामि एवं भासामि एवं पण्णवेमि एवं परूवेमि- किच्चं दुक्खं फुसं दुक्खं कज्जमाणकडं दुक्ख कट्ट-कट्ट पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेयंतित्ति वत्तव्वयं सिया । ० तइए ठाणे बीओ उद्देसो समत्तो . 0 तइओ उद्देसो 0 [१८१] तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्ट नो आलोएज्जा नो पडिक्कमेज्जा नो निदेज्जा नो गरिहेज्जा नो विउद्देज्जा नो विसोहेज्जा नो अकरणयाए अब्भटेज्जा नो अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्म पडिवज्जेजा, तं जहा- अकरिसं वाऽहं करेमि वाऽहं करिस्सामि वाऽहं । तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्ट नो आलोएज्जा नो पडिक्कमेज्जा जाव नो पडिवज्जेज्जा तं ठाणं-३, उद्देसो-३ जहा- अकित्ती वा मे सिया अवण्णे वा मे सिया अविनए वा मे सिया । तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्ट नो आलोएज्जा जाव नो पडिवज्जेज्जा, तं जहा- कित्ती वा मे परिहाइस्साति जसे वा मे परिहाइस्साति पूयासक्कारे वा मे परिहाइस्सति । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [31] [३-ठाण]

Loading...

Page Navigation
1 ... 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141