Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 67
________________ चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तं जहा- आइण्णे नाममेगे आइण्णे, आइण्णे नाममेगे खलंके, खलुंके नाममेगे आइण्णे, खलुंके नाममेगे खलुंके; एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- आइण्णे ठाणं-४, उद्देसो-३ नाममेगे आइण्णे चउभंगो । चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तं जहा- आइण्णे नाममेगे आइण्णातए वहति, आइण्णे नाममेगे खलंकताए वहति,-४, एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- आइण्णे नाममेगे आइण्णताए वहति चउभंगो । चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो कुलसंपण्णे, कुलसंपण्णे नाममेगे नो जातिसंपण्णे-४, एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो कुलसंपण्णे० चउभंगो । चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो बलसंपण्णे-४, एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो बलसंपण्णे-४ । चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो रूवसंपण्णे-४; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो रूवसंपण्णे-४ । चत्तारि पकंथगा पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो जयसंपण्णे-४; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- जातिसंपण्णे नाममेगे नो जयसंपण्णे-४ । एवं कुलसंपन्नेण य बलसंपन्नेण य, कुलसंपन्नेण य रूवसंपन्नेन य, कुलसंपन्नेण य जयसंपन्नेण य, एवं बलसंपन्नेण य रूवसंपन्नेण य, बलसंपन्नेण य जय संपन्नेण य-४- सव्वत्थ परिसजाया पडिवक्खो । चत्तारि कंथगा य प० तं०- रूवसंपन्ने नाममेगे नो जयसंपन्ने-४; एवामेव चत्तारि परिसजाया प० तं०- रूवसंपन्ने नाममेगे नो जयसंपन्ने-४ । चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- सीहत्ताए नाममेगे निक्खंते सीहत्ताए विहरइ, सीहत्ताए नाममेगे निक्खंते सीयालत्ताए विहरइ, सीयालत्ताए नाममेगे निक्खंते सीहत्ताए विहरइ, सीयालत्ताए नाममेगे निक्खंते सीयालत्ताए विहरइ ।। ___ [३५०] चत्तारि लोगे समा पन्नत्ता तं जहा- अपइट्ठाणे नरए, जंबुद्दीवे दीवे, पालए जाणविमाणे, सव्वट्ठसिद्धे महाविमाणे | चत्तारि लोगे समा सपक्खिं सपडिदिसिं पन्नत्ता तं जहा- सीमंतए नरए, समयक्खेत्ते, उडुविमाणे, इसीपब्भरा पुढवी । [३५१] उड्ढलोगे णं चत्तारि बिसरीरा पन्नत्ता तं जहा- पुढविकाइया आउकाइया वणस्सइकाइया उराला तसा पाणा, अहोलोगे णं चत्तारि बिसरीरा पन्नत्ता तं जहा- पुढविकाइया० एवं चेव, एवं तिरियलोए वि-४ ।। [३५२] चत्तारि पुरिसजाया प० तं०-हिरिसत्ते हिरिमणसत्ते, चलसत्ते, थिरसत्ते । [३५३] चत्तारि सेज्जपडिमाओ पन्नत्ताओ, चत्तारि वत्थपडिमाओ पन्नत्ताओ, चत्तारि पायपडि-माओ पन्नत्ताओ, चत्तारि ठाणपडिमाओ पन्नत्ताओ । [३५४] चत्तारि सरीरगा जीवफडा पन्नत्ता तं जहा- वेठव्विए आहारए तेयए कम्मए, चत्तारि सरीरमा कम्मम्मीसगा पन्नत्ता तं जहा- ओरालिए वेउव्विए आहारए तेयए । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [66] [३-ठाण]

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