Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar Publisher: DeepratnasagarPage 83
________________ पंच हेऊ पन्नत्ता तं जहा- हे जाणइ जाव हेउं छउमत्थमरणं मरति| पंच हेऊ पन्नत्ता तं जहा- हेउणा जाणइ जाव हेउणा छउमत्थमरणं मरइ । पंच अहेऊ पन्नत्ता तं जहा- अहे न जाणति जाव अहेउं छउमत्थमरणं मरति| पंच अहेऊ पन्नत्ता तं जहा- अहेउणा न जाणति जाव अहेउणा छउमत्थमरणं मरति| पंच अहेऊ पन्नत्ता तं जहा- अहेउं जाणति जाव अहेउं केवलिमरणं मरति| पंच अहेऊ पन्नत्ता तं जहा- अहेउणा जाणति जाव अहेउणा केवलिमरणं मरति । केवलिस्स णं पंच अनुत्तरा पन्नत्ता तं जहा- अनुत्तरे नाणे अनुत्तरे दंसणे अनुत्तरे चरित्ते अनुत्तरे वीरिए । [४४५] पउमप्पहे णं अरहा पंचचित्ते हत्था, तं जहा- चित्ताहिं चुत्ते चइत्ता गब्भं वक्कंते चित्ताहिं जाते चित्ताहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारितं पव्वइए चित्ताहिं अनंते अनुत्तरे निव्वाघाए निरावरणे कसिणे पडिपण्णे केवलवरनाणदंसणे समप्पण्णे चित्ताहिं परिणिव्वते, पुप्फदंते णं अरहा पंचमूले हत्था तं जहा- मुलेणं चते चइत्ता गब्भं वक्कंते । [४४६] पउमप्पभस्स चित्ता मूले पुण होइ पुप्फदंतस्स । पुव्वाइं आसाढा सीयलस्सुत्तर विमलस्स भद्दवता ।। [४४७] रेवतिति अनंतजिणो पूसो धम्मस्स संतिणो भरणी । कुंथुस्स कत्तियाओ अरस्स तह रेवतीतो य ।। [४४८]मुनिसुव्वयस्स सवणो आसिणि नमिणो य नेमिणो चित्ता। पासस्स विसाहाओ पंच य हत्थत्तरे वीरो ।। [४४९] समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे होत्था तं जहा- हत्थुत्तराहिं चुते चइत्ता गब्भं वक्कंते हत्थुत्तराहिं गब्भाओ गब्भं साहरिते हत्थुत्तराहिं जाते हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारितं पव्वइए हत्थुत्तराहिं अनंते अनुत्तरे निव्वाधाए निरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरनाणदंसणे समुप्पण्णे । • पंचमे ठाणे पढमो उद्देसो समत्तो . 0बीओ-उद्देसो 0 [४५०] नो कप्पड़ निग्गंथाणं वा निग्गंथीण वा इमाओ उद्दिवाओ गणियाओ वियं जियाओ पंच महण्णवाओ महानदीओ अंतो मासस्स दुक्खत्तो वा तिक्त्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा तं० गंगा ठाणं-५, उद्देसो-२ जउणा सरऊ एरावती मही । पंचहिं ठाणेहिं कप्पति तं जहा- भयंसि वा भिक्खंसि वा पव्वहेज्ज वा णं कोई दओघंसि वा एज्जमाणंसि महता वा अणारिएस् । [४५१] नो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पढमपाउसंसि गामाणगामं दूइज्जित्तए, पंचहिं ठाणेहिं कप्पड़ तं जहा- भयंसि वा ब्भिक्खंसि वा जाव महता वा अणारिएहिं । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [82] [३-ठाण]Page Navigation
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