Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 103
________________ [६१७] रिसभेण उ एसज्जं, सेणावच्चं धणाणि य । वत्थगंधमलंकार, इत्थिओ सयणाणि य ।। [६१८] गंधारे गीतजुत्तिण्णा वज्जवित्ती कलाहिया । भवंति कइणो पण्णा जे अण्णे सत्यापारगा ।। ठाणं-७ [६१९] मज्झिमसरसंपण्णा भवंति सहजीविणो । खायती पियती देती मज्झिमसरमस्सितो ।। [६२०] पंचमसरसंपण्णा भवंति पढवीपती सूरा संगहकत्तारो अणेगगणनायगा । [६२१] रेवतसरसंपण्णा भवंति कलहप्पिया । साउणिया वग्गरिया सोयरिया मच्छबंधा य ।। [६२२] चंडाला मुट्ठिया सेया जे अण्णे पावकम्मिणो । गोधातगा य जे चोरा नेसाय सरमस्सिता ।। [६२३] एतेसि णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पन्नत्ता तं जहा- सज्जगामे मज्झिमगामे, गंधारगामे सज्जागामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा- | [६२४] मंगी कोरव्वीया हरी य रयणी य सारकंता य । छट्ठी य सारसी नाम सुद्ध-सज्जा य सत्तमा ।। [६२५] मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा- | [६२६] उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरायता । अस्सोकंता य सोवीरा अभिरू हवति सत्तमा ।। [६२७] गंधारगामस्स णं सत्त मच्छणाओ पन्नत्ताओ तं०- | [६२८] नंदी य खुद्दिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा । उत्तरगंधारावि य पंचमिया हवति मुच्छा उ ।। [६२९] सुट्ठत्तरमायामा सा छट्ठी नियमसो उ नायव्वा । अह उत्तरायता कोडिमा य सा सत्तमी मच्छा ।। [६३०] सत्त सरा कतो संभवंति गीतस्स का भवति जोणी । कतिसमया उस्साया कति वा गीतस्स आगारा ।। [६३१] सत्त सरा नाभीतो भवंति गीतं च रूण्णजाणीयं । पदसमया ऊसासा तिणि य गोयस्स आगारा ।। [६३२] आइमिठ आरभंता सम्व्वहंता य मज्झगारंमि । अवसाणे य झवेंता तिण्णि य गेयस्स आगारा ।। [६३३] छद्दोसे अवगुणे तिण्णि य वित्ताइं दो य भणितीओ । जो नाहिति-सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमज्झम्मि ।। [६३४] भीतं दूतं रहस्सं गायंतो मा य गाहि उत्तालं । काकस्सरमणुणासं च होति गेयस्स छद्दोसा ।। [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [102] [३-ठाण]

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