Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 96
________________ ठाणं-६ छव्विहा ईहामती पन्नत्ता तं जहा- खिप्पमीहति बहुमीहति जाव अंसदिद्धमीहति । छव्विधा अवायमती पन्नत्ता तं जहा- खिप्पमवेति जाव असंदिद्धमवेति । छव्विहा धारणामती पन्नत्ता तं जहा- बहुं धरेति बहुविह धरेति पोराणं धरेति दुद्धरं धरेति अनिस्सतं धरेति असंदिद्धं धरेति । - [५६२] छव्विहे बाहिरए तवे पण्णत्ते तं जहा- अणसणं ओमोदरिया भिक्खायरिया रसपरिच्चाए कायकिलेसो पडिसंलीणता | छव्विहे अब्भंतरिए तवे पन्नत्ता तं जहा- पायच्छित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो । [५६३] छव्विहे विवादे पण्णत्ते तं जहा- ओसक्कइत्ता उस्सक्कइत्ता अणुलोमइत्ता पडिलोमइत्ता भइत्ता भेलइत्ता | [५६४] छव्विहा खुड्डा पाणा पन्नत्ता तं जहा- बेइंदिया तेइंदिया चरिंदिया संमच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणिया तेउकाइया वाउकाइया । [५६५] छव्विहा गोयरचरिया पन्नत्ता तं जहा- पेडा अद्धपेडा गोमुत्तिया पतंगवीहिया संबुक्कावट्टा गंतुंपच्चागता । [५६६] जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं ईमीसे रयणप्पभाए पुढवीए छ अवक्कंतमहानिरया पन्नत्ता तं जहा- लोले लोलुए उद्दड्ढे निदड्डे जरए पज्जरए | चउत्थीए णं पंकप्पभाए पुढवीए छ अवक्कंतमहानिरया पन्नत्ता तं जहा- आरे वारे मारे रोरे रोरूव खाडखडे । [५६७] बंभलोगे णं कप्पे छ विमाण-पत्थडा पन्नत्ता तं जहा- अरए विरए नीरए निम्मले वितिमिरे विसुद्धे । [५६८] चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ नक्खत्ता पव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पन्नत्ता तं जहा- पुव्वाभद्दवया कत्तिया महा पुव्वफग्गुणी मूलो पुव्वासाढा | चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ नक्खत्ता नत्तंभागा अवड्ढक्खेत्ता पन्नरसमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा- सयभिसया भरणी भद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा । चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोति- सरण्णो छ नक्खत्ता उभयभागा दिवढखेत्ता पणयालीसमुहुत्ता पन्नत्ता तं जहा- रोहिणी पुनव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा उत्तराभद्दवया | [५६९] अभिचंदे णं कुलकरे छ घणुसयाई उड्ढं उच्चत्तेणं हुत्था । [५७०] भरहे णं राया चाउरंतचक्कवट्टी छ पुव्वसतसहस्साई महाराया हत्था । [५७१] पासस्स णं अरहओ परिसादाणियस्स छ सता वादीणं सदेवमण्यासुराए परिसाए अपराजियाणं संपया होत्था । वासुपुज्जे णं अरहा छहिं परिससतेहिं सद्धिं मुंडे जाव अणगारियं पव्वइए । चंदप्पभे णं अरहा छम्मासे छउमत्थे हत्था । [५७२] तेइंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स छव्विहे संजमे कज्जति तं जहा- धाणामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता भवति घाणामएणं दक्खेणं असंजोएत्ता भवति, जिब्भामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [95] [३-ठाणं]

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