Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 94
________________ ठाणं-६, कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा । ५३४] छव्विहा इइढिमंता मणस्सा पन्नत्ता तं जहा- अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वास- देवा चारणा विज्जाहरा, छव्विहा अणिढिमंता मणस्सा पन्नत्ता तं जहा- हेमवतगा हेरण्णवतगा हरिवासगा रम्मगवासगा कुरुवासिणो अंतरदीवगा । [५३५] छव्विहा ओसप्पिणी पन्नत्ता तं जहा- सुसम-सुसमा सुसमा सुसम-दूसमा दूसमसुसमा दूसमा दूसम-दूसमा; छव्विहा उस्सप्पिणी पन्नत्ता तं०- दुस्सम-दुस्समा जाव सुसम-सुसमा | ___ [५३६] जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसम-सुसमाए समाए मणुया छ धणुसहस्साई उड्ढमुच्चत्तेणं हुत्था, छच्च अद्धपलिओवमाइं परमाउं पालयित्था । ___ जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु इमीसे ओसप्पिणीए सुसम-सुसमाए समाए एवं चेव । जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु आगमेस्साए उस्सप्पिणीए सुसम-सुसमाए समाए, एवं चेव जाव छच्च अद्धपलिओवमाई परमाउं पालइस्संति । जंबुद्दीवे दीवे देवकुरु-उत्तरकुरुकुरासु मणुसा छ धणुस्सहस्साइं उड्ढं उच्चत्तेणं पन्नत्ता, छच्च अद्धपलिओवमाइं परमाणुं पालेति; एवं धायइसंडदीवपुरत्तिमद्धे चत्तरि आलावगा जाव पुक्खरवरदीवड्ढ-पच्चत्थिमद्धे चत्तारि आलवगा । [५३७] छव्विहे संघयणे प० तं०- वइरोसभनारायसंघयणे उसभनारायसंघयणे नारायसंघयणे अद्धनारायसंघयणे खीलियासंघयणे छेवट्टसंघयणे । [५३८] छव्विहे संठाणे प० तं०- समचउरंसे नग्गोहपरिमंडले साई खुज्जे वामणे हंडे । [५३९] छट्ठाणा अणत्तवओ अहिताए असुभाए अखमाए अनीसेसाए अनानुगामियत्ता भवंति, तं जहा- परियाए परियाले सुते तवे लाभे पूयासक्कारे, छट्ठाणा अत्तवत्तो हिताए [सुभाए खमाए नीसेसाए] आणगामियत्ताए भवंति तं जहा- परियाए परियाले [सते तवे लाभे] पूयासक्कारे । [५४०] छव्विहा जाइ-आरिया मणस्सा पन्नत्ता तं जहा- | [५४१] अंबट्ठा य कलंदा य वेदेहा वेदिगादिया । हरिता चुचुणा चेव छप्पेता इब्भजातिओ ।। [५४२] छव्विहा कुलारिया मणुस्सा प० तं०- उग्गा भोगा राइण्णा इक्खागा नाता कोरव्वा । [५४३] छव्विहा लोगद्विती पन्नत्ता तं जहा- आगासपतिहिते वाए वातपतिहिते उदही उदधिपतिहिता पुढवी पुढविपतिहिता तसा थावरा पाणा, अजीवा जीवपतिहिता, जीवा कम्मपतिद्विता । [५४४] छद्दिसाओ पन्नत्ताओ तं जहा- पाईणा पडीणा दाहिणा उदीणा उड्ढा अधा, छहिं दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति, तं जहा- पाईणाए जाव अधाए; एवं आगई, वक्कंती, आहारे, वुड्ढी, निवुड्ढी, विगुव्वणा, गतिपरियाए, समुग्घाते, कालसंजोगे, दंसणाभिगमे, नाणाभिगमे, जीवाभिगमे, अजीवाभिगमे, एवं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणवि मणुस्साणवि । [५४५] छहिं ठाणेहि समणे निग्गंथे आहारमाहारेमाणे नातिक्कमति तं. । [५४६] वेयण-वेयावच्चे ईरियट्ठाए य संजमट्ठाए । __तह पामवत्तियाए छटुं पुण धम्मचिंताए । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [93] [३-ठाण]

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