Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 89
________________ पोग्गलत्थिकाए पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासते अवद्विते जाव दव्वओ णं पोग्गलत्थिकाए अनंतई दव्वाइं खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नासि जाव निच्चे भावओ वण्णमंते जाव फासमंते, गणओ गहणगणे ।। [४८०] पंच गतीओ पन्नत्ताओ तं० निरयगती तिरियगती मणयगती देवगती सिद्धिगती । [४८१] पंच इंदियत्था प० तं० सोतिदियत्थे जाव फासिंदियत्थे । पंच मुंडा पन्नत्ता० सोतिदियमुंडे जाव फासिंदियमुंडे, अहवा- पंच मुंडा पन्नत्ता० कोहमुंडे मानमुंडे मायामुंडे लोभमुंडे सिरमुंडे | [४८२] अहेलोगे णं पंच बायरा पन्नत्ता तं जहा- पुढविकाइया आउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया ओराला तसा पाणा, उड्ढलोगे णं पंच बायरा पन्नत्ता तं जहा- एवं चेव । तिरियलोगे णं पंच बायरा पन्नत्ता तं जहा- एगिंदिया जाव पंचिदिया । पंचविहा बायरतेउकाइया पन्नत्ता तं जहा- इंगाले जाले मम्मरे अच्ची अलाते, पंचविधा बादरवुकाइया पन्नत्ता तं जहा- पाईणवाते पड़ीणवाते दाहिणवाते उदीणवाते विदिसवाते । पंचविधा अचित्ता वाउकइया पन्नत्ता तं जहा- उक्कंते धंते पीलिए सरीराणुगते समुच्छिमे [४८३] पंच निग्गंथा पन्नत्ता तं०- पुलाए बउसे कुसीले निग्गंथे सिणाते, पुलाए पंचविहे पन्नत्ते तं जहा- नाणपुलाए दंसणपुलाए चरित्तपुलाए लिंगपुलाए अहासुहमपुलाए नामं पंचमे, बउसे पंचविधे पन्नत्ते णं जहा- आभोगबउसे अणाभोगबउसे संवुडबउसे अंसवुडबउसे अहासुहमवउसे नामं पंचमे, कुसीले पंचविधे पन्नत्ते तं जहा- नाणकुसीले दंसणकुसीले चरित्तकुसीले लिंगकुसीले अहासुहमकुसीले नाम पंचमे, नियंठे पंचविहे पण्णत्ते तं जहा- पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरिमसमयनियंठे अचरिमसमयनियंठे अहासहमनियंठे नामं पंचमे, सिणाते पंचविधे पण्णत्ते तं जहा- अच्छवी असबले अकम्मसे संसुद्ध-नाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली, अपरिस्साई।। [४८४] कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पंच वत्थाई धारित्तए वा परिहरेत्तए वा तं जहा- जंगिए भंगिए साणए पोत्तिए तिरिडपट्टए नामं पंचमए । कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा पंच रयहरणिं धारित्तए वा परिहरेत्तए वा तं जहाउण्णिए उट्टिए साणए पच्चापिच्चिए मंजापिच्चिए नामं पंचमए । ___ [४८५] धम्मंणं चरमाणस्स पंच निस्साहाणा पन्नत्ता तं जहा- छक्काया गणे राया गाहावती सरीरं । [४८६] पंच निहिं पन्नत्ता तं० जहा पत्तनिही मित्तनिही सिप्पनिही धणनिही धण्णनिही । [४८७] पंचविहे सोए पन्नत्ता तं० जहा- पुढविसोए आउसोए तेउसोए मंतसोए बंभसोए । [४८८] पंच ठाणाई छउमत्थे सव्वभावेणं न जाणति न पासति तं जहा- धम्मत्थिकायं ठाणं-५, उद्देसो-३ [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [88] [३-ठाणं]

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