Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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तओ परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- जामीतेगे सुमणे भवति, जामीतेगे दुम्मणे भवति जामीतेग नोसुमणे-नोदुम्मणे भवति, तओ पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- जाइस्सामीतेगे सुमणे भवति, जाइस्सामीतेगे दुम्मणे भवति, जाइस्सामीतेगे नोसुमणे-नोदुम्मणे भवति ।
तओ पुरिसजाया पण्णत्ता तं जहा- अगंता णामेगे सुमणे भवति, अगंता णामेगे दुम्मणे भवति, अगंता णामेगे नोसुमण-नोदुम्मणे भवंति ।
तओ पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- न जामि एगे सुमणे भवति, न जामि एगे दुम्मणे भवति, न जामि एगे नोसुमणे नोदुम्मणे भवति । तओ पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- न जाइस्सामि एगे सुमणे भवति न जाइस्सामि एगे दुम्मणे भवति न जाइस्सासि एगे नोसुमणे-नोदुम्मणे भवति ।
एवं आगंता नामेगे सुमणे भवति, एमितेगे सुमणे-३, एस्सामीति एगे सुमणे भवति-३, एवं एएणं अभिलावेणं
[१६९] गंता य अगंता य आगंता खल तहा अणागता ।
चिद्वित्तमचिद्वित्ता निसितित्ता चेव नो चेव ।। [१७०] हंता य अहंता य छिदित्ता खल तहा अछिंदित्ता ।
बूतित्ता अबूतित्ता भासित्ता चेव नो चेव ।। [१७१] दच्चा य अदच्चा य भुंजित्ता खलु तहा अभुंजित्ता ।
लंभित्ता अलंभित्ता पिइत्ता चेव नो चेव ।। [१७२] सतित्ता असतित्ता ज्झित्ता खल तहा अज्झित्ता |
जतित्ता अजयिता य पराजिणित्ता चेव नो चेव ।। [१७३] सद्दा रूवा गंधा रसा य फासा तहेव ठाणा य ।
निस्सीलस्स गरहिता पसत्था पण सीलवंतस्स ।। एवमिक्केक्के तिन्नि उ तिन्नि उ आलावगा भाणियव्वा, सदं सणेत्ता नामेगे सुमणे भवति-३, एवं सुणेमीति-३, सुणिस्सामीति-३, एवं असुणेत्ता नामेगे सुमणे भवति-३, न सुणेमीति-३, न सुणिस्सामीति-३, एवं रूवाई गंधाइं रसाइं फासाइं, एक्केक्के छ छ आलावगा भाणियव्वा- १२७- आलावगा भवंति ।
[१७४] तओ ठाणा निसीलस्स निव्वयस्स निग्गुणस्स निम्मेरस्स निप्पच्चक्खाणपोसहोववासस्स गरहिता भवंति तं जहा- अस्सिं लोगे गरहिते भवति उववाते गरहिते भवति आयाति गरी भवति तओ ठाणा सुसीलस्स सुव्वयस्स सगुणस्स सुमेरस्स सपच्चक्खाणपोसहोववासस्स पसत्था भवंत तं जहा- अस्सिं लोगे पसत्थे भवति उववाए पसत्थे भवति आजाती पसत्था भवति ।
[१७५] तिविधा संसारसमावण्णगा जीवा पन्नत्ता तं जहा- इत्थी पुरिसा नपुंसगा, तिविहा ठाणं-३, उद्देसो-२
सव्वजीवा पन्नत्ता तं जहा- सम्मद्दिट्ठी मिच्छाद्दिट्ठी सम्मामिच्छद्दिट्ठी, अहवा- तिविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तं जहा- पज्जत्तगा अपज्जत्तगा नोपज्जत्तगा-नोऽपज्जत्तगा । एवं- सम्मद्दिट्ठि-पज्जतग-परित्ता-सुहमसन्नि-भविया य ।
[मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:]
[30]
[३-ठाण]
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