Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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सव्वेस् णं महाविदेहेस् अरहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्मं पण्णवयंति तं जहा- सव्वाओ पाणातिवायाओ वेरमणं जाव सव्वाओ बहिद्धदाणाओ वेरमणं ।
[२८१] चत्तारि दुग्गतीओ पन्नत्ताओ तं जहा- नेरइयग्गती तिरिक्खजोणिय-दुग्गती मणस्सद्गती देवगती; चत्तारि सोग्गईओ पन्नत्ताओ तं जहा- सिद्धसोग्गती देवसोग्गती मण्यसोग्गती सुकुलपच्चायाती;
चत्तारि दुग्गता पन्नत्ता तं जहा- नेरइयदुग्गता तिरिक्खजोणियदुग्गता मणुयदुग्गता देवदुग्गाता; चत्तारि सुग्गता पन्नत्ता तं जहा- सिद्धसुग्गत्ता देवसुग्गता मणुयसुग्गता सुकुलपच्चायाया |
[२८२] पढमसमयजिणस्स णं चत्तारि कम्मंसा खीणा भवति तं जहा- नाणावरणिज्जं दंसणावरणिज्जं मोहणिज्जं अंतराइयं;
उप्पण्णनाणदंसणधरे णं अरहा जिणे केवली चत्तारि कम्मसे वेदेति तं जहा- वेदणिज्जं आउयं नामं गोतं ।
पढमसमयसिद्धस्स णं चत्तारि कम्मंसा जुगवं खिज्जति तं जहा- वेयणिज्ज आउयं नामं गोतं ।
[२८३] चउहिं ठाणेहिं हासप्पत्ती सया तं जहा- पासेत्ता भासेत्ता सणेत्ता संभरेत्ता ।
[२८४] चउव्विहे अंतरे पण्णत्ते तं जहा- कटुंतरे पम्हंतरे लोहंतरे पत्थरंतरे, एवामेव इत्थिए वा परिसस्स वा चउव्विहे अंतरे पण्णत्ते तं जहा- कटुंतरसमाणे पम्हंतरसमाणे लोहंतरसमाणे पत्थरंतरसमाणे ।
[२८५] चत्तारि भयगा पन्नत्ता तं जहा- दिवसभयए जत्ताभयए उच्तत्तभयए कब्बालभयए
[२८६] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- संपागडपडिसेवी नामेगे नो पच्छण्णपडिसेवी, ठाणं-४, उद्देसो-१
पच्छण्णपडिसेवी नामेगे नो संपागडपडिसेवी, एगे संपागडपडिसेवी वि पच्छण्णपडिसेवी वि, एगे नो संपागडपडिसेवी नो पच्छण्णपडिसेवी ।
[२८७) चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमारण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- कणगा कणगलता चित्तगुत्ता वसुंधरा, एवं- जमस्स वरुणस्स वेसमणस्स; बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरण्णो सोमस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- मितगा सुभद्दा विज्जता असणी; एवं- जमस्स वेसमण्णस्स वरुणस्स; धरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- असोगा विमला सुप्पभा सुंदसणा; एवं जावं संखवालस्स भूताणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कालवालस्स महारण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- सुणंदा सुभद्दा सुजाता सुमणा; एवं जाव सेलवालस्स जहा धरणस्स ।
एवं सव्वेसिं दाहिणिंदलोगपालाणं जाव घोसस्स जहा भूताणंदस्स एवं जाव महाघोसस्स लोगपालाणं, कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा; एवं- महाकालस्सवि; सुरुवस्स णं भूतिंदस्स भूतरण्णो चत्तारि अग्गमहिसीओ पन्नत्ताओ तं जहा- रूववती बहरूवा सुरूवा सुभगा एवं- पडिरूवस्सवि; पणभद्दस्स णं
[मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:]
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[३-ठाणं]
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