Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 52
________________ देसच्छंदकहा देसणेवत्थकहा; रायकहा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा- रण्णो अतियाणकहा रण्णो णिज्जाणकहा रण्णो बलवाहणकहा रण्णो कोसकोट्ठागारकहा; चव्विहा कहा पन्नत्ता तं जहा अक्खेवणी विक्खेवणी संवेयणी निव्वेदणी; अक्खेणी कहा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा- आयारअक्खेवणी ववहारअक्खेवणी पण्णत्तिअक्खेवणी दिट्ठिवातअक्खेवणी; विक्खेवणी कहा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा - ससमयं कहेइ ससमयं कहित्ता परसमयं कहेइ, परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावइता भवति, सम्मवायं कहेइ सम्मवायं कहेत्ता मिच्छावायं कहेइ, मिच्छावायं कहेत्ता सम्मवायं ठावइत्ता भवति; संवेयणी कहा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा - इहलोगसंवेयणी परलोगसंवेयणी आतसरीरसंवेयणी परसरीरसंवेयणी; निव्वेदणी कहा चउव्विहा पन्नत्ता तं जहा इहलोग दुच्चिरण कम्मा इहलोगे दुहफलविवाग-संजुता भवंति, इहलोगे दुचिण्णा कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवति, परलोगे दुच्चिण्णा कम्मा इहलोगे दुहफलविवागसंजुत्त भवंति परलोगे दुच्चिण्णा कम्मा परलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवति, इहलोगे सुचिण्णा कम्मा इहलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति, इहलोगे सुचिण्णा कम्मा परलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति एवं चउभंगो । [ ३०२] चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- किसे नाममेगे किसे, किसे नाममेगे दढे, दढे नाममेगे किसे, दढे नाममेगे दढो चत्तारि पुरिसजाया प०- किसे नाममेगे किससरीरे, किसे नामगे दढसरीरे, दढे नाममेगे किससरीरे, दढे नाममेगे दढसरीरे, चत्तारि पुरिसजाया प० - किससरीरस्स नाममेगस्स नाणदंसणे समुप्पज्जति नो दढसरीरस्स, दढसरीररस्स नाममेगस्स नाणदंसणे समुप्पज्जति नो किससरीरस्स, एगस्स किसरीरस्सवि णाणदंसणे समुप्पज्जति दढसरीरस्सवि, एगस्स नो किससरीरस्स नाणदंसणे समुप्पज्जति नो दढसरीरस्स I [३०३] चउहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अस्सिं समयंसि अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पज्जिकामेवि न समुप्पज्जेज्जा तं जहा- अभिक्खणं अभिक्खणं इत्थिकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं कहेत्ता भवति; विवेगेण विउस्सग्गेणं नो सम्ममप्पाणं भावित्ता भवति, पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि नो धम्मजागरियं जागरइत्ता भवति, फासुयस्स एसणिज्जस्स उंछस्स सामुदाणियस्स नो सम्मं गवेसित्ता भवति; इच्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीणं वा जाव नो समुप्पज्जेज्जा । चउहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अस्सिं समयंसि अतिसेसे नानादंसणे समुप्पठाणं-४, उद्देसो-२ ज्जिकामे समुप्पज्जेज्जा तं जहा - इत्थिकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं नो कहेत्ता भवति, विवेगेण विउस्सगणं सम्ममप्पाणं भावेत्ता भवति, पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरइत्ता भवति, फासुयस्स एसणिज्जस्स उंछस्स सामुदाणियस्स सम्मं गवेसित्ता भवति; इच्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं निग्गंथाणं वा निग्गंथीणं वा अस्सिं समयंसि अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पज्जिकामे समुप्पज्जेज्जा । [ ३०४] नो कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा चउहिं महापाडिवएहिं सज्झायं करेत्तए, तं जहा - आसाढपाडिवर इंदमहपाडिवए कत्तियपाडिवए सुगिम्हगपाडिवए । न कप्पति निग्गंथाणं वा निग्गंथीण वा चउहिं संझाहिं सज्झायं करेत्तए, तं जहा- पढमाए पच्छिमाए मज्झण्हे अड्ढरत्ते । [मुनि दीपरत्नसागर संशोधितः ] [51] [ ३-ठाणं]

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