Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 44
________________ [२५३] चत्तारि वत्था पन्नत्ता तं जहा- सुद्धे नामं एगे सुद्धे, सुद्धे नाम एगे असुद्धे, असुद्धे नाम एगे सुद्धे, असुद्धे नाम एगे असुद्धे; एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा- सुद्धे नाम एगे सुद्धे चउभंगो-४, एवं परिणत रूवे वत्था सपडिवक्खा, चत्तारि पुरिसजाता प० तं०- सुद्धे नाम एगे सुद्धमणे चउभंगो-४, एवं संकप्पे जाव परक्कमे । [२५४] चत्तारि सुत्ता प० तं० जहा- अतिजाते अणुजाते अवजाते कुलिंगाले । [२५५] चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- सच्चे नामं एगे सच्चे, सच्चे नामं एगे असच्चे असच्चे नामं एगे सच्चे, असच्चे नामं एगे असच्चे, एवं परिणते जाव परक्कमे ।। ___ चत्तारि वत्था पन्नत्ता तं जहा- सुई नाम एगे सुई सुई नाम एगे असुई, चउभंगो, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता, तं जहा- सुई नामं एगे सुई, चउभंगो, एवं जहेव सुद्धणं वत्थेणं भणितं, तहेव सुतिणावि, जाव परक्कमे । [२५६] चत्तारि कोरवा पन्नत्ता तं जहा- अंबपलंबकोरवे, तालपलंबकोरवे, वल्लिपलंबकोरवे, मेंढविसाणकोरवे; एवामेव चत्तारि परिसजाया पन्नत्ता तं जहा- अंबपलंबकोरवसमाणे, तालपलंबकोरवसमाणे, ठाणं-४, उद्देसो-१ व्लिपलंबकोरवसमाणे, मेंढविसाणकोरवसमाणे । [२५७] चत्तारि धुणा पन्नत्ता तं जहा- तयक्खाए छल्लिक्खाए कट्ठक्खाए सारक्खाए एवामेव चत्तारि भिक्खागा पन्नत्ता तं जहा- तयक्खायसमाणे जाव सारक्खायसमाणे, तयक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स सारक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, सारक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स तयक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, छल्लिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कट्ठक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, कट्ठक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स छल्लिक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते । [२५८] चउव्विहा तणवणस्सतिकाइया पन्नत्ता तं जहा- अग्गबीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया । [२५९] चउहिं ठाणेहिं अहणोववण्णे नेरइए निरयलोगंसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए, अहणोववण्णे नेरइए निरयलोगंसि समभयं वेयणं वेयमाणे इच्छेज्जा माणसं लोग हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए । अहणोववण्णे नेरइए निरयलोगंसि निरयपालेहिं भज्जो-भज्जो अहिद्विज्जमाणे इच्छेज्जा माणसं लोगं हव्वामागच्छित्तए नो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए । ___ अहणोववण्णे नेरइए निरयवेयणिज्जंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अनिज्जिण्णंसि इच्छेज्जा माणुस लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छितए अहणोववण्णे नेरइए निरयाउंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अणिज्जिण्णंसि इच्छेज्जा माणुसं लोग हव्वामागच्छित्तए णो चेव णं संचाएति हव्वामागच्छित्तए । इच्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं अहणोववण्णे नेरइए निरयलोगंसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए । २६०] कप्पंति निग्गंथीणं चत्तारि संघाडीओ धारित्तए वा परिहरित्तए वा तं जहा एगं हत्थवित्थारं, दो तिहत्थवित्थारा एगं चउत्थवित्थारं | [मुनि दीपरत्नसागर संशोधित:] [43] [३-ठाण]

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