Book Title: Agam 03 Thanam Taiam Angsuttam Mulam PDF File
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 40
________________ [२२२] गुरु पडुच्च तओ पडिणीया प० तं० आयरियपडिणीए उवज्झायपडिणीए थेरपडिणीए, गति पडुच्च तओ पडिणीया पन्नत्ता तं जहा- इहलोगपडिणीए परलोग-पडिणी दुहओलोगपडिणीए, समूहं पडुच्च तओ पडिणीया पन्नत्ता तं जहा - कुलपडिणीए मणपडिणीए संघपडिणीए, अणुकंपं पडुच्च तओ पडिणीया पन्नत्ता तं जहा - तवस्सिपडिणीए गिलाणपडिणीए सेहपडिणीए, भावं पडुच्च तओ पडिणीया पन्नत्ता तं जहा- णाणपडिणीए दंसणपडिणीए चरित्तपडिणीए, सुयं पडुच्च तओ पडिणीया पन्नत्ता तं जहा - सुत्तपडिणीए अत्थपडिणीए तदुभयपडिणी । [२२३] तओ पितियंगा पन्नत्ता तं जहा- अट्ठी अट्ठिभिंजा केसमंसुरोमणहे । ओ मायंगा पन्नत्ता तं जहा- मंसे सोणिते मत्थुलिंगे । ठाणं-३, उद्देसो-४ [२२४] तिहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति, तं जहा कया णं अहं अप्पं वा बहुयं वा सुयं अहिज्जिस्सामि, कया णं अहं एकल्लविहारपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरिस्सामि, कया णं अहं अपच्छिम-मारणंतिय-संलेहणा-झूसणा-झूसिते भत्तपाण-पडियाइक्खिते पाओवगते कालं अणवकंखमाणे विहरिस्सामि, एवं स मणसा स वयसा स कायसा पागडेमाणे समणे निग्गंथे महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति । तिहिं ठाणेहिं समणोवासए महाणिज्जरे महापज्जवसाणे भवति तं जहा कया णं अहं अप्प वा बहुयं वा परिग्गहं परिचइस्सामि, कया णं अहं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारितं पव्वइस्सामि, कया णं अहं अपच्छिममारणं-तियसंलेहणा-झूसणा-झूसिते भत्तपामपडियाइक्खिते पाओवगते कालं अणवकख माणे विहरिस्सामि, एवं स मणसा स वयसा स कायसा पागडेमाणे समणोवासए महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति । [२२५] तिविहे पोग्गलपडिघाते पण्णत्ते तं जहा- परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलं पप्प पडिहण्णिज्जा लुक्खत्ताए वा पडिहण्णिज्जा लोगंते वा पडिहन्निज्जा । [२२६] तिविहे चक्खू पण्णत्ते तं जहा- एगचक्खू बिचक्खू तिचखू, छउमत्थे णं मणुस्से एगचक्खू देवे बिचक्खू तहारूवे समणे वा माहणे वा उप्पण्णनाणदंसणधरे तिचक्खुत्ति वत्तव्वं सिया । [२२७] तिविधे अभिसमागमे पण्णत्ते तं जहा उड्ढं अहं तिरियं जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पज्जति से णं तप्पढमताए उड्ढभिसमेति ततो तिरियं ततो पच्छा अहे, अहोलोगे णं दुरभिगमे पण्णत्ते समणाउसो । [२२८] तिविधा इड्ढी पन्नत्ता तं जहा- देविड्ढी राइड्ढी गणिड्ढी, देविड्ढी तिविहा पन्नत्ता तं जहा- विमाणिड्ढी विगुव्वणिड्ढी परियारणिड्ढी, अहवा-देविड्ढी तिविहा पन्नत्ता तं जहा- सचित्ता अचित्ता मीसिता, राइड्ढी तिविधा पन्नत्ता तं जहा- रण्णो अतियाणिड्ढी रण्णो निज्जाणिड्ढी रण्णो बलवाहण-कोस कोट्ठागारिड्ढी, अहवा - राइड्ढी तिविहा प० तं० जहा- सचित्ता अचित्ता मीसिता । गणिड्ढी तिविहा पन्नत्ता तं जहा - नाणिड्ढी दंसणिड्ढी चरितिड्ढी अहवा-गणिड्ढी तिविहा पन्नत्ता तं जहा- सचित्ता अचित्ता मीसिता । [२२९] तओ गारवा पन्नत्ता तं जहा इड्ढीगारवे रसगारवे सातागारवे । [२३०] तिविहे करणे प० तं०- धम्मिए करणे अधम्मिए करणे धम्मियाधम्मिए करणे । [39] [ ३-ठाणं] [मुनि दीपरत्नसागर संशोधितः ]

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