Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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महारमो आणा. जाव चिट्ठति, जंबुद्दीवे२ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुप्पजंति, तं०-डिंबाति वा डमराति वा कलहाति वा बोलाति वा खाराति वा महायुद्धाति वा महासंगामाति वा महासत्यनिवडणाति वा एवं पुरिसनिवडणाति वा महारुधिरनिवडणाइ वा दुम्भूयाति वा कुलरोगाति वा गामरोगाति वा मंडलरोगाति वा नगररोगाति वा सीसवेयगाइ वा अच्छिवेयणाइ वा कमनह० दंतवेयणाइ वा इंदगाहाइ वा खंदगाहाइवा कुमारगाहा जक्खगाहा भूयगाहा एगाहियाति वा बेआहियाति वा तेयाहियाति वा चाउत्थाहियाति वा उव्वेयगाति वा कासाति वा सासाति वा सोसेति वा जराइ वा दाहा० कच्छकोहाति वा अजीरया पंडुरगा हरिसाइ वा भगंदराइ वा हिययसूलाति वा मत्थयम जोणिसू० पासमू० कुच्छिसू० गाममारीति वा नगर० खेड० कब्बड दोणमुह मडंप० पट्टण० आसम० संवाह संनिवेसमारीति वा पाणक्खया धणपखया जणक्खया कुल०वसणभूयमणारिया जे यावने तहप्पगारा न ते सकस्स देविंदस्स देवरको जमस्स महारन्नो अण्णाया० तेसिं वा जमकाइयाणं देवाणं, सकस्स० देवरण्णो जमस्स महारन्नो इमे देवा अहावचा अभिण्णाया होत्या, तं०-अंबे अंबरिसे चेव, सामे सबलेत्ति यावरे। रूहोवरूहे काले य, महाकालेत्ति यावरे ॥२७॥ असिपत्ते धणू कुंभे (असी य असिपत्ते कुंभे) बालू १२ वेयरणीति य १३ । खरस्सरे १४ महाघोसे १५, एए पन्नरसाहिया ॥२८॥ सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारबो सत्तिभागं पलिओवमं ठिती पं० अहावच्चाभिण्णायाणं देवाणं एग पलिओवमं ठिती पं० एवंमहिदिए जाव जमे महाराया।१६५। कहिं णं मंते ! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारन्नो सयंजले नाम महाविमाणे पं०१,गोयमा! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस महाविमाणस्स पच्चत्थिमेणं सोहम्मे कप्पे असंखेजाइं जहा सोमस्स तहा विमाणरायहाणीओ भाणियच्वा जाव पासायवडिंसया नवरं नामणाणत्तं, सक्कस्स० वरुणस्स महारन्नो इमे देवा आणा. जाव चिट्ठति, तं०-वरुणकाइयाति वा वरुणदेवयकाइयाइ वा नागकुमारा नागकुमारीओ उदहिकुमारा उदहिकुमारीओ थणियकुमारा थणियकुमारीओ जे यावण्णे तहप्पगारा सव्वे ते तम्भत्तिया जाव चिहृति, जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पब्वयस्स दाहिणेणं जाई इमाई समुप्पजंति, तं०-अतिवासाति वा मंदवासाति वा सुवुट्ठीति वा दुबुट्टीति वा मंदवुट्ठीति वा उदब्भेयाति वा उदप्पीलाइ वा उदवाहाति वा पव्वाहाति वा गामवाहाति वा जाव सन्निवेसवाहाति वा पाणक्खया जाव तेसिं वा वरुणकाइयाणं देवाणं सक्कस्स णं देविंदस्स देवरनो वरुणस्स महारन्नो जाव अहावच्चामिन्नाया होत्था, तं०- कक्कोडए कद्दमए अंजणे संखवालए पुंडे पलासे मोएजए दहिमुहे अयंपुले कायरिए, सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारण्णो देसूणाई दो पलिओवमाइं ठिती पं०, अहावच्चाभिन्नायाणं देवाणं एग पलिओवमं ठिती पं०, एवमहिड्ढीए जाव वरुणे महाराया।१६६ । कहिं णं भंते! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो वगृणामं महाविमाणे पं०?, गोयमा! तस्स णं सोहम्मवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरेणं जहा सोमस्स विमाणरायहाणिवत्तव्वया तहा नेयव्वा जाव पासायवडिंसया, सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारनो इमे देवा आणाउववायवयणनिहेसे चिट्ठति, तं०-वेसमणकाइयाति वा वेसमणदेवकाइयाति वा सुवन्नकुमारा सुवन्नकुमारीओ दीवकुमारा दीवकुमारीओ दिसाकुमारा दिसाकुमारीओ वाणमंतरा वाणमंतरीओ जे यावन्ने तहप्पगारा सब्वे ते तब्भत्तिया जाब चिट्ठति, जंबुद्दीचे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणणं जाई इमाई समुप्पजति, तं०-अयागराइ वा तउयागराइ वा तंचयागराइ वा एवं सीसागराइ वा हिरन्नसुवन्नरयणवयरागराइ वा वसुहाराति वा हिरन्नवासाति वा सुवन्नवासाति वा रयणवइरआमरणपत्तपुष्फफलबीयमल्लवण्णचुनगंधवत्थवासाइ वा हिरन्नवुट्टीइ वा सु०र०व० आ०प० पु०फ०वी०व०चुनगंधवुट्टी वत्थवुट्ठीति वा भायणबुट्ठीति वा खीरखुट्ठीति वा सुयालाति वा दुकालाति वा अप्पग्याति वा महग्याति वा सुभिक्खाति वा दुभिक्खाति वा कयविकयाति वा संन्निहियाति वा संनिचयाति वा निहीति 0 वा णिहाणाति वा चिरपोराणाई पहीणसामियाति वा पहीणसेउयाति वा पहीणगोत्तागाराइ वा उच्छिन्नसामियाति वा उच्छिन्नसेउयाति वा उच्छिन्नगोत्तागाराति वा सिंघाडगतिगचउक्कचचरचउम्मुहमहापहपहेसु नगरनिडमणेसु वा सुसाणगिरिकंदरसंतिसेलोवट्ठाणमवणगिहेसु संनिक्खित्ताई चिट्ठति एताई सकस्स देविंदस्स देवरश्नो वेसमणस्स महारनो ण अण्णायाई अदिट्ठाइं असुयाई अविनायाई तेसि वा वेसमणकाइयाणं देवाणं, सक्कस्स देविंदस्स देवरनो वेसमणस्स महारनो इमे देवा अहावञ्चाभिनाया होत्या, तं०- पुनमहे माणिमहे सालिम सुमणमहचकरक्ख पुनरक्खें सब्वाण (पव्वाण) सव्वजसे सव्वकाम समिद्धे अमाह असगे, सकस्स ण दा पं०, अहावचामिण्णायाणं देवाणं एग पलिओवमं ठिती पं०, एमहिड्डीए जाब वेसमणे महाराया, सेवं मंते!२११६७॥ श०३ उ०७॥रायगिहे नगरे जाव पजुवासमाणे एवं बदासी-असुरकुमाराणं भंते ! देवाणं कति देवा आहेवचं जाव विहरंति', गोयमा! दस देवा आहेवचं जाव विहरंति, तं०- चमरे असुरिंदै असुरराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे बली वइरोयर्णिदे बहरोयणराया सोमे जमे वरुणे वेसमणे, नागकुमाराणं मते ! पुच्छा, गोयमा! दस देवा आहेवचं जाव विहरंति, तं०-धरणे नागकुमारिंदे नागकुमारराया कालवाले कोलवाले १९३ श्रीभगवत्यंग-सतं.३
मुनि दीपरत्नसागर

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