Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 76
________________ णो मे हिरन्ने नो मे सुवण्णे नो मे कसे नो मे दूसे नो मे विउलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणमादीए संतसारसावदेजे, ममत्तभावे पुण से अप्परिणाए भवति, से तेणट्टेणं गोयमा! एवं बुच्चइ-सयं भंडं अणुगवेसेइ नो परायगं मंडं अणुगवेसेड़, समणोवासगस्स णं भंते! सामाइयकडस्स समणोवस्सए अच्छमाणस केति जायं चरेजा से णं भंते! किं जायं चरइ अजायं चरइ ?, गोयमा ! जायं चरइ नो अजायं चरइ, तस्स णं भंते ! तेहिं सीलव्वयगुणवेरमणपञ्चक्वाणपोमहोववासेहिं सा जाया अजाया भवद ?, हंता भवइ, से केण खाइ णं अटेणं भंते! एवं वुच्चइ जायं चरइ नो अजायं चरइ ?, गोयमा ! तस्स णं एवं भवइ-णो मे माता णो मे पिता णो मे भाया णो मे भगिणी णो में मजा णो मे पुत्ता णो मे धूया नो मे सुण्हा, पेजबंधणे पुण से अवोच्छिन्ने भवइ, से तेणतुणं गोयमा ! जाव नो अजायं चरइ।३२७। समणोवासगस्स णं भंते ! पुवामेव धूलए पाणाइवाए अपचक्खाए भवइ, से णं भंते! पच्छा पचाइक्खमाणे किं करेति?, गोयमा ! तीर्थ पडिक्कमइ पडुप्पचं संवरेश अणागयं पञ्चक्खाति, तीयं पडिकममाणे किं तिविहं तिविहेणं पडिकमति तिविहं दुबिहेणं पडिकमति तिविहं एगविहेणं पडिकमति दुविहं तिविहेणं पडिक्कमति दुविहं दुविहेणं पडिकमति दुविहं एगविहेणं पडिक्कमति एकविहं तिविहेणं पडिकमति एक्कविहं दुविहेणं पदिकमति एकविहं एगविहणं पडिक्कमति ?, गोयमा ! तिविहं तिविहेणं पडिकमति तिविहं दुविहेणं वा पडिकमति सं चेव जाव एकविहं वा एकविहेणं पडिक्कमति, तिविहं वा तिविहेणं पडिकममाणे न करति न कारवेति करेंनं णाणुजाणइ मणसा वयसा कायसा. तिविहं दुविहेणं पडिकन कन का करेंतं णाणुजाणइ मणसा बयसा अहवा न करेइन का करत नाणुजा मणसा कायसा अहवा न करेइ०३ वयसा कायसा, तिबिई एगविहेणं पडिन करेति०३मणसा अहवा न करेइ०३वयसा, अहवा न करेइ०३कायमा, दुविहं ति पं०न करेइन का०मणसा वयसा कायसा अहवा न करेइ करेंत नाणुजाणइ मण० वय० काय अहवा न कारबेइ करेंतं नाणुजा मणसा वयसा कायसा, दु० दु०प० न क न का०म०व० अहवा न कान का म. कायसा, अहवा न कान का वयसा कायसा, अहवा न करेड करेंत नाणुजाणइ मणसा वयसा, अहवा न करे० करतं नाणुजाणइ मणसा कायसा, अहवा न करेति करेंतं नाणजाणति वयसा कायसा अहवा न कारखेति करत नाणुजाणति मणसा वयसा अहवा न कारखेइ करत नाणुजाणइ मणसा कायसा अहवा न कारवति करत नाणुजाणइ क्यसा कायसा, दुविहं एक्कविहेणं पडिक्कममाणे न करेति न कारवेति मणसा अहवा न करेति न कारवेति वयसा अहवा न करेति न कारवेति कायसा अहवा न करेति करेंत नाणुजाणइ मणसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवा न करेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा अहवा न कारवेइ करेंत नाणुजाणइ मणसा अहवा न कारवेइ करत नाणुजाणइ वयसा अहवा न कारवेइ करेंतं नाणुजाणइ कायसा, एगविहं तिविहेणं पडिकन करेति मणसा वयसा कायसा अहवा न कारवड मणसा वयसा कायसा अहवा करेंतं नाणुजाण मणसा वयसा कायसा, एकविहं दुविहेणं पडिकममाणे न करेति मणसा बयसा अहबा न करेति मणसा कायसा अहवान करेइ वयसा कायसा अहवा न कारवेति मणसा वयसा अह्वा न कारवेति मणसा कायसा अहवान कारखेह वयसा कायसा अहवा करेंते नाणुजाणइ मणसा बयसा अहवा करतं नाणजाणइ मणसा कायसा अहवा करेंतं नाणजाणइ पयसा कायसा, एकविहं एगविहेणं पडि-।। कममाणे न करेति मणसा अहवा न करेति वयसा अहवा न करेति कायसा अहवा न कारवेति मणसा अहवा न कारवेति वयसा अहवा न कारवेइ कायसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ मणसा अहवा करेंतं नाणुजाणइ वयसा अहवा करत नाणुजाणइ कायसा, पडुप्पचं संवरेमाणे किं तिविहं तिविहेणं संवरेइ ?, एवं जहा पडिक्कममाणेणं एगणपन्नं भंगा भणिया एवं संक्रमाणेणवि एगणपन्न भंगा भाणियव्वा, अणागयं पञ्चक्खमाणे किं तिविहं तिविहेणं पञ्चक्खाइ०१ एवं ते चेव भंगा एगणपन्ना भाणियव्वा जाव अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा, णं भंते! पुवामेव थुलमसावाए अपञ्चक्खाए भवई से णं भंते ! पच्छा पच्चाइक्खमाणे० एवं जहा पाणाइवायस्स सीयालं भंगसयं भणियं तहा मसावायस्सवि माणियवं, एवं अदिनादाणस्सवि, एवं थूलगस्स मेहुणस्सवि, थूलगस्म परिग्गहस्सवि, जाब अहवा करेंतं नाणुजाणइ कायसा, एए खलु एरिसगा समणोवासगा भवंति, नो खलु एरिसगा आजीवियोवासगा भवंति । ३२८ । आजीवियसमयस्स णं जयमद्धे पं०-अक्खीणपडिभोइणो सब्वे सना से इंता छेत्ता मेत्ता लुपिना विलुपित्ता उद्दवइत्ता आहारमाहारेंति, तत्थ खलु इमे दुवालस आजीवियोवासगा भवंति, तं०- ताले (प. तमाले) तालपलंबे उविहे संविहे अवविहे उदए नामुदए णमुदए अणुवालए संखवालए अयंबु(पु)ले कायरए इचेते दुवालसमाजीवियोवासगा अरिहंतदेवतागा अम्मापिउसुस्मसगा पंचफलपडिकंता, ० उंगरेहिं बड़ेहिं बोरेहि सतरेहि पिलंयहि, पलंदुल्हसणकंदमूलविवजगा अणिइंछिएहिं अणकभिन्नेहिं गोणेहिं तसपाणविवजिएहि चि(प.छे)तेहिं वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, एएऽवि ताव एवं इच्छंति, किमंग पुण जे इमे समणोवासगा भवंति जेसि तो कप्पंति इमाई पचरस कम्मादाणाई सयं करेत्तए वा कारवेत्तए वा करेंतं वा अनं न समणुजाणेत्तए, तं०-इंगालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम्मे दंतवाणिज्जे लक्खवाणिजे केसवाणिजे रसवाणिजे विसवाणिजे जंतपीलणकम्मे लिखेछणकम्मे दवम्गिदावणया सरदहतलायपरिसोसणया असतीपोसणया, इगते समणोवासगा सुक्का सुकाभि-(५८) २३२ श्रीभगवत्यंग-सत मुनि दीपरत्नसागर SPENSP852098A2EPENSPIRAREPRESPEARSHILOPMSPRIASPOONASPKSHA735/SPARBPMARSHIRMRPOS

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