Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 116
________________ । अत्रयरं नट्टविहिं उपदंसेजा, से नूर्ण गोयमा ! ते पेच्छगा तं नट्टियं अणिमिसाए दिट्टीए सवओ समंता सममिलोएंति ?, हंता समभिलोएंति, ताओ णं गोयमा ! विट्ठीओ तसि नगि छायंसि सब्बओ समंता संनिवडियाओ?.हता सनिवडियाओ, अस्थि णं गोयमा ! ताओ दिट्ठीओ तीजे नहियाए किंचिवि आचाहं वा वाचाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेंति ?, णो तिणढे समढे, अहवा सा नहिया तासि दिट्ठीणं किंचि आचाहं वा वाचाहं वा उप्पाएति छविच्छेदं वा करेइ ?, णो तिणढे समढे, ताओ वा दिडीओ अनमनाए दिट्ठीए किंचि आचाई वा वाचाहं वा उप्पाएंति छविच्छेदं वा करेन्ति ?, णो तिणद्वे समढे, से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ तं चेव जाव छविच्छेदं वा करेंति । ४२१। लोगस्स णं भंते ! एगंमि आगासपए जहन्नपए जीवपएसाणं उकोसपए जीवपएसाणं सबजीवाण य कयरे जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्योवा लोगस्स एगंमि आगासपएसे जहन्नपए जीवपएसा, सव्वजीवा असंखेजगुणा, उकोसपए जीवपएसा विसेसाहिया । सेवं भंते ! सेवं भंतेत्ति । ४२२॥ श०११ उ०१०॥ तेणं कालेणं पाणियगामे नामं नगरे होत्था वनओ, दूतिपलासे चेहए वनओ जाव पुढवीसिलापट्टओ, तत्थ णं वाणियगामे नगरे सुदंसणे नामं सेट्ठी परिवसई अड्ढे जाव अपरिभूए समणोवासए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, सामी समोसढे जाब परिसा पज्जुवासइ, तए से सुदंसणे सेट्ठी इमीसे कहाए लबडे समाणे हद्वतुढे पहाए कयजावपायच्छित्ते सव्वालंकारविभूसिए सयाओ गिदाओ पटिनिक्समहत्ता सकोरेंटमलदामेणं छत्तेणं धरिजमाणेणं पायविहारचारेणं महयापुरिसवगुरापरिक्खित्ते वाणियगाम नगरं मझमझेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव दूतिपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ ता समणं भगवं महावीरं पंचविदेणं अभिगमेणं अभिगच्छति, तं०- सञ्चित्ताणं दवाणं जहा उसमदत्तो जाच तिविदाए पजुवासणाए पजुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सुदंसणस्स सेहिस्स तीसे य महतिमहलियाए जाव आराहए भवइ, तए णं से सुदंसणे सेट्ठी समणस्स भगवओ महावीरस्म अंतियं धम्मं सोचा निसम्म हड्तुट्ठ० उट्ठाए उट्टेइ ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव नमंसित्ता एवं बयासी-कविहेणं मंते! काले पं०१.सदसणा! चउविहे काले पं०२०- पमाणकाले अहाउनिव्वत्तिकाले मरणकाले अजाकाले, से किं तं पमाणकाले १, २ दुविहे पं० त०-दिवसप्पमाणकाले राइप्पमाणकाले य चउपोरिसिए दिवसे चउपोरिसिया राई भवइ । ४२३ । उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवह जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स या राईए वा पोरिसी भवइ. जदा णं भंते ! उक्कोसिया अद्धपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा ण कतिभागमुहुतभागेणं परिहायमाणी २ जहनिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति?, जदा णं जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति तदा णं कतिभागमुहुत्तभागेणं परिवड्ढमाणी २ उकोसिया अवपंचममुटुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, सुदंसणा ! जदा णं उकोसिया अदपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तदा णं बावीससयभागमुहुत्तभागेणं परिहायमाणी २ जहनिया तिमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, जदा णं जहनिया तिमहत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ तया ण बावीससयभागमुहत्तभागेणं परिवड्दमाणी २ उक्कोसिया अपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवति, कदाणं भंते ! उकोसिआ अपंचममुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, कदा वा जहन्निया तिमुडुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ ?, सुदंसणा ! जदा णं उकोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जनिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ तदा णं उक्कोसिया अद्वपंचममुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ जहन्निया तिमुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ, जया णं उकोसिया अट्ठारसमुहुत्तिआ राई भवति जहन्निए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ तदा णं उकोसिया अदपंचममुहुत्ता राईए पोरिसी भवइ जहन्निया तिमुहुत्ता दिवसस्स पोरिसी भवइ, कदा णं भंते ! उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ ? कदा वा उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहन्नए दुवालसमहुत्ते दिवसे भवइ ?, सुदंसणा ! आसाढपुन्निमाए उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहन्निया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, पोसस्स पुन्निमाए णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, अस्थि णं भंते! दिवसाय राईओ यसमा चेव भवन्ति, इंता अस्थि, कदा णं भंते ! दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति?.सुदंसणा ! चित्तासोयन्निमासु णं, एत्थ णं दिवसा य राईओ य समा चेव भवन्ति, पन्नरसमुहुत्ते दिवसे पन्नरसमुहुत्ता राई भवइ चउभागमुहुत्तभागुणा चउमुहुत्ता दिवसस्स वा राईए वा पोरिसी भवइ, सेत्तं पमाणकाले । ४२४ । से किं तं अहाउनिबत्तिकाले ?.२ जन्नं जेणं नेरइएण वा तिरिक्खजोणिएण वा मणुस्सेण वा देवेण वा आउयं निव्वत्तिय सेत्तं पालेमाणे अहाउनिव्वत्तिकाले, से किं तं मरणकाले ?.२ जीवो वा सरीराओ सरीरं वा जीवाओ०, सेत्तं मरणकाले, से किं तं अदाकाले १,२ अणेगविहे पं०, से णं समयट्टयाए आवलियट्ठयाए जाव उस्सप्पिणीट्ठयाए, एस णं सुदंसणा ! अद्धा दोहारच्छेदेणं छिजमाणी जाहे विभागं नो हब्वमागच्छद सेत्तं समए, समयट्टयाए असंखेजाणं समयाणं समुदयसमिइसमागमेणं सा एगा आवलियत्ति फ्युचाइ, संखेजाओ आवलियाओ जहा सालिउद्देसए जाव सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाण, एएहिं णं भंते ! पलिओवमसागरोवमेहिं किं पयोयणं?, सुदसणा! एएहिं पलिओवमसागरोवमेहिं नेरइयतिरिक्खजोणियम-CE) २७२ श्रीभगवत्यंग - -२१ मुनि दीपरत्नसागर

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