Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 168
________________ SHOPENSFEMSPOMREP84881885ENGPRMSPRONS-85878878518SAANSPIRMIRPISABAR वासं नो वासतीति हत्थं वा जाव उरू वा आउट्टावेति वा पसारेति वा वावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढे ।५८६ । देवे णं भंते ! महड्ढिए जाव महेसक्खे लोगते ठिच्चा पभू अलोगसि हत्थं वा जाव उरुं वा आउंटावेत्तए वा पसारेत्तए वा ?, णो तिणढे समढे, से केणट्टेणं भंते! एवं वुबइ देवे णं महड्डीए जाव लोगंते ठिचा णो पभू अलोगसि हत्यं वा जाव पसारेत्तए वा?, गोयमा! जीवाणं आहारोवचिया पोग्गला बोंदिचिया पोग्गला कलेवरचिया पोग्गला पोग्गलामेव पप्प जीवाण य अजीवाण य गतिपरियाए आहिजइ, अलोए णं नेवस्थि पोग्गला से तेणडेणं जाव पसारेत्तए था। सेवं भंते२त्ति । ५८७॥ श०१६ उ०८॥ कहिनं भंते ! बलिस्स बहरोयणिंदस्स वइरोयणरनो सभा सुहम्मा पं०१, गोयमा! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरेणं तिरियमसंखेजे जहेव चमरस्स जाव चायालीसं जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं बलिस्स वइरोयर्णिदस्स० रुयगिंदे नाम उप्पायपब्बए पं०, सत्तरस एकवीसे जोयणसए एवं पमाणं जहेब तिगिच्छिकूडस्स, पासायवडेंसगस्सवितं चेव पमाणं, सीहासणं सपरिवारं, बलिस्स परियारेणं, अट्ठो तहेव नवरं रुयगिंदप्पभाई सेसं तं चेव जाव चलिचंचाए गयहाणीए अन्नेसि च जाब रुयगिंदस्सणं उप्पायपव्वयस्स उत्तरेणं छकोडिसए तहेव जाव चत्तालीसं जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं बलिस्स बइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो चलिचंचा नामं रायहाणी पं० एग जोयणसयसहस्सं पमाणं तहेव जाब बलिपे मा सव्व तहव निरवसस नवर सातिरग सागविम ठिता प०, ससत चव जाव बली वयरायाण शसवे भत!२जाव विहरांत।५८८॥श०१६उ०९॥ कविबिहा णं मंत! ओही पं०१.गोयमा! दुविहा ओही पं०, ओहीपदं निरवसेसं भाणियव्यं । सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति । ५८९॥ श०१६ उ०१०॥ दीवकुमारा गं भंते ! सब्वे समाहारा सब्बे समुस्सासनिस्सासा?, णो तिणढे समढे, एवं जहा पढमसए चितियउ. देसए दीवकुमाराणं वत्तव्यया तहेव जाव समाउया समुस्सासनिस्सासा, दीवकुमाराणं भंते ! कति लेस्साओ पं०१, गोयमा ! चत्तारि लेस्साओ पं०२०-कण्हलेस्सा जाव तेउलेस्सा, एएसिं णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेस्साणं जाव तेउलेस्साण य कयरे जाव विसेसादिया वा?, गोयमा ! सब्बत्योबा दीवकुमारा तेउलेस्सा काउलेस्सा असंखेजगुणा नीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेस्सा बिसेसाहिया, एएसि णं भंते ! दीवकुमाराणं कण्हलेसाणं जाव तेउलेस्साण य कयरे कयरेहितो अप्पड्ढिया वा महड्ढ्यिा वा?, गोयमा ! कण्हलेस्साहिंतो नीललेस्सा महड्ढिया जाव सब्वमहड्ढीया तेउलेस्सा। सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति । श०१६ उ०११॥ उदहिकुमारा गं भंते ! सब्वे समा. हारा एवं चेव । सेवं भंते ! ॥श०१६ उ०१२॥ एवं दिसाकुमारावि ॥ श०१६ उ०१३॥ एवं थणियकुमाराऽवि। सेवं भंते ! सेवं भंते! जाव विहरइ ।५९०॥ उ०१४ इति पोडशं शतकं॥॥ ॥ नमो सुयदेवयाए भगवईए। 'कुंजर १ संजय २ सेलेसि ३ किरिय ४ ईसाण ५ पुढवि ६.७ दग ८-९ वाऊ १०.११। एगिदिय १२ नाग १३ सुवन्न १४ विजु १५ वायु १६ ऽग्गि १७ सत्तरसे ॥ ७७॥ रायगिहे जाव एवं वयासी-उदायी णं भंते ! हत्थिराया कओहितो अणंतरं उबट्टित्ता उदायिहस्थिरायत्ताए उववन्ने ?, गोयमा ! असुरकुमारेहिंतो देवहितो अणंतरं उच्चट्टित्ता उदायिहस्थिरायत्ताए उववन्ने, उदायी णं भंते ! हस्थिराया कालमासे कालं किच्चा कहि गच्छिहिति कहिं उबबजिहिति?, गोयमा! इमीसे णं रयणपभाए पुढवीए उक्कोससागरोवमद्वितीयंसि निरयावासंसि नेरइयत्ताए उववजिहिति, से णं भंते ! तओहिंतो अणंतरं उबट्टित्ता कहिं ग० कहिं उ०१. गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिति जाव अंतं काहिति, भूयाणंदे णं भंते! दत्थिराया कओहिंतो अणंतरं उचट्टित्ता भूयाणंदहस्थिरायत्ताए एवं जहेव उदायी जाव अंतं काहिति । ५९१पुरिसे णं भंते! ता(पत)लमारूहइत्ता तालाओ तालफलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से पुरिसे ता(म०त)लमारुहइ त्ता तालाओ तालफलं पयालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुढे, जेसिपिय णं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निव्वत्तिए तल8 फले निव्वत्तिए तेऽविणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, अहे णं भंते! से तालफले अप्पणो गरुयत्ताए जाव पचोवगमाणे जाई तत्थ पाणाई जाब जीवियाओ ववरोवेति तओ णं भंते! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे तलफले अप्पणो गरुयत्ताए जाब जीवियाओ ववरोवेति तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चरहिं किरियाहिं पुढे, जेसिंपिणं जीवाणं सरीरेहिंतो तले निब्बत्तिए तेऽपि णं जीवा काइयाए जाव चउहि किरि| याहिं पुट्ठा, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहितो तालफले निव्वत्तिए तेऽवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, जेऽविय से जीवा अहे वीससाए पचोवयमाणस्स उवग्गहे वति तेऽविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहिं किरियाहिं पुट्ठा, पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स मूलं पचालेमाणे वा पवाडेमाणे वा कतिकिरिए ?, गोयमा! जावं च णं से पुरिसे रुक्स्स मूलं पचालेइ वा पवाडेइ वा तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाय पंचहि किरियाहिं पुढे,जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए जाव बीए निव्वत्तिए तेऽविय णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहि पुट्टा, अहे णं भंते ! से मूले अप्पणो गरुयत्ताए जाच जीवियाओ ववरोवेइ तओ णं भंते ! से पुरिसे कतिकिरिए ?, गोयमा ! जावं च णं से मूले अप्पणो जाव ववरोवेइ तावं च णं से पुरिसे काइयाए जाव चउहि किरियाहिं पुढे. जेसिंपिय णं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए जाच बीए निब्बत्तिए तेऽविणं जीवा चउहिं पुट्ठा, जेसिपियर्ण जीवाणं सरीरेहितो मूले निव्वत्तिए तेऽवि णं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुढा, जेऽवियणं से जीचा अहे वीससाए पयावा पचोक्यमाणस्स या उवम्गहे बटुंति तेऽविणं जीवा काइयाए जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, पुरिसे णं भंते ! रुक्खस्स कंदं पचालेइ०, गोयमा ! तावं च णं से पुरिसे जाय पंचहि किरियाहिं पुढे, जेसिपि णं जीवाणं सरीरहितो मूळे निव्वत्तिए जाव चीए निव्वत्तिए तेऽवि णं जीवा जाव पंचहि किरियाहिं पुट्ठा, अहे णं भंते ! से कंदे अप्पणो जाव चउहिं पुढे, जेसिपि णं जीवाणं सरीरेहिंतो मूले निव्वत्तिए खंधे निजाव चउहिं० पुट्ठा, जेसिंपिणं जीवाणं सरीरेहितो कंदे निव्वत्तिए तेऽविय णं जीवा जाव पंचहिं० पुट्ठा, जेऽवि य से जीवा अहे वीससाए पचोवयमाणस्स जाव पंचहिं० पुट्ठा जहा खंधो एवं जाव बीयं । ५९२। कति णं भंते ! सरीरगा पं०१, गोयमा ! पंच सरीरगा पं० तं०-ओरालिए जाच कम्मए, कति णं भंते ! इंदिया पं०१, गोयमा! पंच इंदिया पं० तं०-सोइंदिए जाय फासिदिए. कतिविहे णं भंते ! जोए पं०१, गोयमा ! विविहे जोए पं० त०-मणजोए वयजोए कायजोए, जीवे णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणे कतिकिरिए ?, गोयमा ! सिय तिकिरिए सिय चउकिरिए सिय पंचकिरिए, एवं पुढविक्काइएऽवि एवं जाव मणुस्से, जीवा णं भंते ! ओरालियसरीरं निव्वत्तेमाणा कतिकिरिया ?, गोयमा ! तिकिरियावि चउकिरियावि पंचकिरियावि, एवं पुढवीकाइया एवं जाव मणुस्सा, एवं वेउब्वियसरीरेणवि दो दंडगा नवरं जस्स (८१) ३२४ श्रीभगवत्यंग-स-१७ मुनि दीपरनसागर


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