Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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एतेऽबि सोलस भंगा, सच्चे कक्खडे देसा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निदे देसे लुकखे एएऽवि सोलस भंगा भाणियव्वा, सब्वे कक्खडे देसा गरुया देसा लट्टया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे एएऽवि सोलस भंगा माणियच्या, एवमेते चउसद्धिं भंगा कक्खडेणं समं, सधे मउए देखे गए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निदे देते लक्खे एवं मउएणवि समं चउसट्ठि भंगा भाणियव्वा, सवे गरुए देसे कक्खडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे एवं गणवि समं चउसद्धिं भंगा कायच्या, सब्बे लहुए देसे ककखडे देसे मउए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे एवं लहुएणवि समं चउसद्धिं भंगा कायव्वा, सब्बे सीए देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए दे निये देसे लकखे एवं सीतेवि समं चउसहिं भंगा कायव्वा, सब्वे उसिणे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देखे लहुए देखे निद्धे देसे लुकखे एवं उसिणेणवि समं चउसद्धिं भंगा कःयष्वा सब्वे निदे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे एवं निदेवि चउसद्धिं भंगा कायव्वा, सच्चे लक्खे देसे ककुरुडे देसे मउए देखे गए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे एवं लक्खेणवि समं चउसट्ठि भंगा कायव्वा जाव सब्बे लक्खे देसा कक्खडा देसा मउया देसा ग० देसा ल० देसा सीया देसा उसिणा, एवं सत्तफाले पंचवारसुत्तरा भंगसया भवंति, जइ अटुफासे देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे ४ देसे कक्खडे देसे मउए देखे गरुए देसे लहुए देखे सीए ऐसा उसिना देसे निवे देसे लक्खे ४ देसे कक्खड़े देसे मउए देसे गरुए देसे लहुए देसा सीया देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे ४ देसे कक्खडे देसे मउए देखे गए देसे लहुए देसा सीया देसा उसिणा देसे निद्धे देसे लक्खे ४ एए चत्तारि चउका सोलस भंगा, देसे कक्खडे देसे मउए देसे गरुए देसा लहुया देसे सीए देसे उसिने देसे निदे देसे लक्खे एवं एते गरुएणं एगत्तएणं लहुएणं पोहत्तएणं सोलस भंगा काया, देसे कक्खडे देसे मउए देखा गरुया देसे लहुए देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लक्खे ४ एएऽवि सोलस भंगा काया, देसे कक्खडे देसे मउए देसा गरुया देसा लहुया देसे सीए देसे उसिणे देसे निद्धे देसे लुकखे एतेऽवि सोलस भंगा कायव्वा, सब्वेऽवि ते चउसद्धिं भंगा कक्लडमउएहिं एगत्तएहिं ताहे कक्खडेणं एगत्तएर्ण मउएणं पुहत्तेणं एते चेव चउसद्धिं गंगा कायव्या, ताहे कक्सडेणं पुहत्तएणं मउएणं एगत्तएणं चउसद्धिं भंगा कायव्या, ताहे एतेहिं चेव दोहिवि पुहुतेहिं चसहिं गंगा कायच्या जाव देसा कक्खडा देसा मउया देसा गरुया देखा लहुया देसा सीया देसा उसिणा देसा निद्धा देसा लक्खा एसो अपच्छिमो भंगो. सब्वेते अगुफासे दो छप्पन्ना भंगसया भवंति एवं एते बादरपरिणए अनंतपएसिए खंधे सब्वेसु संजोएसु बारस छन्नउया मंगसया भवति । ६७० कइविहे भंते! परमाणू पं० १, गोयमा ! चउब्बिहे परमाणू पं० तं०-दुव्वपरमाणू खेत्तपरमाणू कालपरमाणू भावपरमाणू, दव्वपरमाणू णं भंते! कहविहे पं० १, गोयमा ! चउब्विहे पं० तं० अच्छेज्जे अभेजे अज्झे अगेज्झे, खेत्तपरमाणू णं भंते! कवि पं० १. गोयमा ! चउब्विहे पं० तं० अणजे अमज्झे अपदेसे अविभाइमे, कालपरमाणू० पुच्छा, गोयमा! चउव्विहे पं० तं० अवने अगंधे अरसे अफासे, भावपरमाणू णं भंते! कवि पं०१, गोयमा ! चउच्विहे पं० तं० वनमंते गंधमंते रसमंते फासमंते । सेवं भंते! २त्ति जाव विहरति । ६७१ ॥ श० २० उ०५ ॥ पुढविकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए पुढबीए सकरप्पभाए पुढवीए य अंतरा समोहए तो जे भविए सोहम्मे कप्पे पुढवीकाइयत्ताए उववजित्तए से णं भंते किं पुव्वि उववजित्ता पच्छा आहारेजा पुब्वि आहारिता पच्छा उबवजेजा ?, गोयमा ! पुच्चि वा उपवजित्ता एवं जहा सत्तरसमसए छट्ठद्देसे जाब से तेणद्वेणं गोयमा ! एवं वृच्चइ पुब्वि वा जाव उवयजेज्जा नवरं तहिं संपाउणेजा इमेहिं आहारो भन्नति सेमं तं चैव पुढवीकाइए णं भंते! इमीसे रयणप्पभाए सकरप्पभाए य पुढवीए अंतरा समोहए ता जे भविए ईसाणे कप्पे पुढवीकाइयत्ताए उवबज्जित्तए? एवं चैव एवं जाव ईसीपम्भाराए उबवायचो, पुढवीकाइए णं भंते! सकरप्पभाए वालुयप्पभाए पुढवीए य अंतरा समोहते ता जे भविए सोहम्मे जाव ईसिपन्भाराए, एवं एतेण कमेणं जाव तमाए अहेसत्तमाए य पुढवीए अंतरा समोहए समाणे जे भविए सोहम्मे जाव ईसिप भाराए उनवाएयव्बो, पुढवीकाइए णं भंते! सोहम्मीसाणसणकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए पुढविकाइयत्ताए उववज्जित्तए से भंते! पुब्बि उववजित्ता पच्छा आहारेजा सेसं तं चैव जाव से तेणद्वेणं जांव णिखेवओ, पुढविकाइए णं भंते! सोहम्मीसाणाणं सणकुमारमाहिंदाण य कप्पाणं अंतरा समोहए ता जे भविए सक्करप्पभाए पुढवीए पुढवीकाइयत्ताए उववज्जित्तए एवं चेव जाब अहेसत्तमाए उक्वाएयब्बो, एवं सर्णकुमा रमाहिंदाण बंभलोगस्स य कप्पस्स अंतरा समोइए ता पुणरवि जाव आहेसत्तमाए उबवाएयब्बो, एवं बंमलोगस्स लंवगस्स य कप्पस्स अंतरा समोहए पुणरवि जाव आहेसत्तमाए, एवं लंतगस्स महामुकस्स कप्पस्स य अंतरा समोहए पुणरवि जाव आहेसत्तमाए, एवं महासुकसहस्सारस्स य कप्पस्स अंतरा पुणरवि जाव आहेसत्तमाए एवं सहस्वारस्य आणयपाणय कप्पाण य अंतरा पुणरवि जाव आहेसत्तमाए, एवं आणयपाणयाणं आरणअब्बुयाण य कप्पाणं अंतरा पुणरवि जाव आहेसत्तमाए, एवं आरणचयाणं गेवेज्जविमाणाण य अंतरा जाव ३४२ श्रीभगवत्संग सत-२०
मुनि दीपरत्नसागर

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