Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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SAEYEVIOPOARPRASHE
चत्तारि समुग्घाया पं० त० वेदणासमुग्घाए जाव वेउब्वियसमुग्याए, मारणंतियसमुग्पाएणं समोहणमाणे देसेण वा समो० सेसं तं चेव जाव अदेसत्तमाए समोहओ ईसिपम्भाराए उववाएयव्यो। सेवं भंते ! २।६०९॥श०१७ उ१०॥ वाउकाइए णं भंते! सोहम्मे कप्पे समोहए त्ता जे भविए इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए घणवाए तणुबाए घणवायवलएसु तणुवायवलएस पाउकाइयत्ताए उपवजेत्तए से णं भंते ! सेसं तं चेव एवं जहा सोहम्मवाउकाइओ सत्तसुचि पुढवीसु उववाइओ एवं जाव ईसिपम्भारावाउकाइओ अहेसत्तमाए जाव उववाएयव्यो। सेवं भंते!२१६१०॥श०१७उ०११॥ एगिदियाणं भंते ! सम्भे समाहारा सब्बे समसरीरा एवं जद्दा पढमसए चितियउद्देसए पुढ. विकाइयाणं वत्तव्यया भणिया सा चेव एगिदियाणं इह भाणियब्याजाव समाउया समोक्वनगा, एगिदिया णं भंते ! कति लेस्साओ पं०१, गोयमा! पत्तारि लेस्साओ पं० त०-कण्दलेस्सा जाब ठेउलेस्सा, एएसिणं भंते! एगिदियाणं कण्हलेस्साणं जाव विसेसाहिया वा ?, गोयमा ! सव्वत्थोवा एगिदियाणं तेउलेस्सा काउलेस्सा अणंतगुणा णीललेस्सा विसेसाहिया कण्हलेसा विसेसाहिया, एएसिं णं भंते! एगिदियाणं कण्हलेस्सा० इड्डी जद्देव दीवकुमाराणं । सेवं भंते!२१६११॥श०१७उ०१२॥ नागकुमाराणं भंते ! सव्वे समाहारा जहा सोलसमसए दीक्कुमारुहेसे तहेव निवसेसं भाणियब्वं जाव इड्ढीति। सेवं भंते ! सेवं भंते ! जाव विहरति, ।६१२॥ श०१७ उ०१३ ॥ सुवन्नकुमारा णं भंते ! सब्बे समाहारा एवं चेव। सेवं मंते ! २।६१३॥श०१७ उ०१४॥ विजुकुमारा णं भंते! सब्बे समाहारा एवं चेव । सेवं भंते !।६१४॥ श०१७३०१५॥ वायुकुमारा णं भंते ! सब्बे समाहारा एवं चेव । सेवं भंते! २१६१५॥ श०१७ उ०१६॥ अम्गिकुमारा णं भंते ! सब्बे समाहारा एवं चेव। सेवं भंते:२।६१६॥ उ०१७ इति सप्तदशं शतक।फ फा पढमे १ विसाह २ मायदिए य३ पाणाइबाय ४ असुरे य ५। गुल ६ केवलि ७ अण
गारे ८ भविए ९ तह सोमिल१०ऽद्वारे ॥ ७८॥ तेणं कालेणं० रायगिहे जाव एवं बयासी-जीवे णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमे अपढमे ?, गोयमा! नो पढमे अपढमे, एवं नेरइए जाव वे०, सिद्धे णं भंते! सिद्धभावेणं किं पढमे BI अपदमे ?, गोयमा! पढमे नो अपढमे, जीवा णं भंते ! जीवभावेणं किं पढमा अपढमा?, गोयमा! नो पढमा अपढ़मा, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धाणं पुच्छा, गोयमा! पढमा नो अपढमा, आहारए णं भंते! जीवे आहारभावेणं कि
पढमे अपढमे ?, गोयमा ! नो पढमे अपढमे, एवं जाव वेमाणिए, पोहत्तिए एवं चेव, अणाहारए णं भंते! जीवे अणाहारभावेणं पुच्छा, गोयमा ! सिय पढमे सिय अपढमे, नेरइए णं भंते! एवं नेरविए जाव वेमाणिए नो पढमे अपढमे, सिद्धे पढमे नो अपढमे, अणाहारगा णं भंते! जीवा अणाहारभावेणं पुच्छा, गोयमा ! पढमावि अपढमावि, नेरइया जाव वेमाणिया णो पढमा अपढमा, सिद्धा पढमा नो अपढमा, एकेके पुच्छा भाणियब्बा, भवसिद्धीए एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए, एवं अभवसिद्धीएऽवि, नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीए णं भंते ! जीवे नोभव० पुच्छा, गोयमा! पढमे नो अपढमे, णोभवसिद्धीयनोजभवसिद्धीया णं भंते ! सिद्धा नोभ० अभव०, एवं चेव पुटुत्तेणवि दोण्हवि, सभी गं भंते ! जाच सचीभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा! नो पढमे अपढमे, एवं विगलिंदियवजं जाव वेमाणिए, एवं पुहुत्तेणवि, असन्नी एवं चेव एगत्तपुटुत्तेणं नवरं जाव वाणमंतरा, नोसनीअसन्नी जीवे मणुस्सेर सिद्धे पढमे नो अपढमे, एवं पुडुत्तेणवि, सलेसे णं भंते! पुच्छा, गोयमा! जहा आहारए, एवं पुहुत्तेणवि, कण्हलेस्सा जाव सुक्कलेस्सा एवं चेव नवरं जस्स जा अस्थि, अलेसे णं० जीवमणुस्ससिद्धे जहा नोसन्नीनोअसन्नी, सम्मदिडीए णं भंते ! जाव सम्मदिट्ठिभावेणं किं पढमे पुच्छा, गोयमा ! सिय पढमे सिय अपढमे, एवं एगिदियवजं जाव वेमाणिए, सिद्धे पढमे नो अपढमे, पुहुत्तिया जीवा पढमावि अपढमावि, एवं जाव वेमाणिया, सिद्धा पढमा नो अपदमा. मिच्छादिडीए एगत्तपहत्तेणं जहा आहारगा, सम्मामिच्छाविट्ठी एगत्तपत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी, नवरं जस्स अस्थि सम्मामिच्छतं. संजए. जीवे मणुस्से य एगत्तपत्तेण जहा सम्मदिट्टी. असंजए. जहा आहारए. संजयासंजए. जीवे पंचिंदियतिरिक्खजोणियमणुस्सा एगत्तपुहुत्तेण जहा सम्मदिट्ठी, नोसंजएनोअस्संजएनोसंजयासंजए. जीवे सिद्धे य एगत्तपुहुत्तेणं पढमे नो अपढमे, सकसायी जाव लोभकसायी एए एगत्तपुहुत्तेण जहा आहारए,
अकसायी०जीवे सिय पढमे सिय अपढमे, एवं मणुस्सेऽवि, सिदे पढमे नो अपढमे, पुटुत्तेणं जीवा मणुस्सावि पढमावि अपढमावि, सिद्धा पढमा नो अपढमा, णाणी एगत्तपुडुत्तेणं जहा सम्मदिट्टी आभिणियोहियनाणी जाव मणप2 जवनाणी एगत्तपत्तेणं एवं चेव नवरं जस्स जं अस्थि, केवलनाणी जीवे मणस्से सिद्ध य एगत्तपत्तेणं पढमा नो अपढ़मा, अन्नाणी मइअनाणी सुषअजाणी विभंगनाणी य एगत्तपुडुत्तेणं जहा आहारए, सजोगी मणजोगी
वयजोगी कायजोगी एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए नवरं जस्स जो जोगो अस्थि, अजोगी जीवमणुस्ससिद्धा एगत्तपुहुत्तेणं पढमा नो अपढमा, सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता एगत्तपुहुत्तेणं जहा अणाहारए, सवेदगो जाव नपुंसगवेदगो एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए नवरं जस्स जो वेदो अत्थि, अवेदओ एगत्तपुहुत्तेणं तिसुवि पदेसु जहा अकसायी, ससरीरी जहा आहारए एवं जाव कम्मगसरीरी, जस्स जं अत्थि सरीरं, नवरं आहारगसरीरी एगत्तपुहुत्तेणं जहा सम्मदिट्ठी, असरीरी जीवो सिद्धो एगत्तपुहुत्तेणं पढमा नो अपढमा, पंचहिं पज्जत्तीहिं पंचहिं अपजत्तीहिं एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारए, नवरं जस्स जा अस्थि जाव येमाणिया नो पढमा अपढमा, इमा लक्खणगाहा-जो जेण
मो अपत्तव्येसु भावेसु ॥७९॥ जीवे णं भंते ! जीवभावेणं किं चरिमे अचरिमे?, गोयमा ! नो चरिमे अचरिमे, नेरइए णं भंते! नेरइयभावेणं पुच्छा, गोयमा ! सिय चरिमे सिय अचरिमे, एवं जाव येमाणिए, सिढे जहा जीवे, जीवा णं पुच्छा, गोयमा ! नो चरिमा अचरिमा, नेरइया चरिमावि अचरिमावि, एवं जाव येमाणिया, सिदा जहा जीवा, आहारए सव्वत्थ एगत्तेणं सिय चरिमे सिय अचरिमे पुत्तेणं चरिमावि अचरिमावि, अणाहारओ जीवो सिद्धोय एमत्तेणवि पुहुत्तेणवि नो चरिमे अचरिमे, सेसट्ठाणेसु एगत्तपुहुत्तेणं जहा आहारओ, भवसिद्धीओ जीवपदे एगत्तपत्तेणं चरिमे नो अचरिमे, सेसट्ठाणेसु जहा आहारओ, भवसिद्धीओ सव्वत्थ एगत्तपुहुत्तेणं नो चरिमे अचरिमे, नोभवसिद्धीयनोअभवसिद्धीय जीवा सिद्धा य एगत्तपुहुत्तेणं जहा अभवसिद्धीओ, सन्नी जहा आहारओ, एवं असन्नीवि, नोसन्नीनोअसन्नी जीवपदे सिद्धपदे य अचरिमे, मणुस्सपदे चरमे एगत्तपुहुत्तेणं, सलेस्सो जाव सुक्कलेस्सो जहा आहारओ नवरं जस्स जा अस्थि, अलेस्सो जहा नोसन्नीनोअसन्नी, सम्मदिट्ठी जहा अणाहारओ, मिच्छादिट्टी जहा आहारओ, सम्मामिच्छादिट्ठी एगिदियविगलिंदि३२७ श्रीभगवत्यंग-सा-१८
मुनि दीपरत्नसागर

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