Book Title: Aagam Manjusha 05 Angsuttam Mool 05 Bhagavati
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar

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Page 174
________________ अवहारेणं अवहीरमाणे दुपज्जबसिए सेत्तं दावरजुम्मे, जे णं रासी चउकएणं अग्रहारेणं अवहीरमाणे एगपज्जबसिए सेन्तं कलिओगे, से तेणट्टेणं गोयमा ! एवं बुच्चइ जाव कलिओए, नेरइया णं भंते! किं कडजुम्मा तेयोगा दावरजुम्मा कलियोगा ?, गोयमा ! जहन्नपदे कडजुम्मा उक्कोसपदे तेयोगा अजहन्नुकोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, एवं जाव थणियकुमारा, वणस्सइकाइयाणं पुच्छा, गोयमा ! जनपदे अपदा उक्कोसपदे य अपदा अजहन्नुकोसियपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, बेइंदिया णं पृच्छा, गोयमा ! जहन्नपदे कडजुम्मा उक्कोसपदे दावरजुम्मा अजहन्नमणुक्कोसपदे सिय कडजुम्मा जाव सिय कलियोगा, एवं जाव चतुरिंदिया, सेसा एगिंदिया जहा बंदिया, पंचिंदियतिरिक्खजोणिया जाव बेमाणिया जहा नेरइया, सिद्धा जहा वणस्सइकाइया, इत्थीओ णं भंते! किं कडजुम्मा पुच्छा, गोयमा ! जहन्नपदे कड जुम्माओ उकोसपदे कडजुम्माओ अजहन्नमणुकोसपदे सिय कडजुम्माओ जाब सिय कलियोगाओ, एवं असुरकुमारित्थीओ जाव थणियकुमारइत्थीओ, एवं तिरिक्खजोणियइत्यीओ एवं मणुसित्थीओ एवं जाव वाणमंतरजोइसियत्रेमाणियदेवित्थीओ। ६२५ । जावतिया णं भंते! वरा अंधगवहिजो जीवा तावतिया परा अंधगवण्हिणो जीवा?, हंता गोयमा ! जावतिया वरा अंधगवण्णिो जीवा तावतिया परा अंधगवण्हणो जीवा सेवं भंते! २सि । ६२६ । श०१८३० ४। दो भंते! असुरकुमारा एगंसि असु. रकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववन्ना तत्थ एगे असुरकुमारे देवे पासादीए दरिसणिजे अभिरूवे पडिरूवे एगे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए नो दरिसणिज्जे नो अभिरुवे णो पडिरूवे से कहमेयं भंते! एवं ?, गोयमा! असुरकुमारा देवा दुविहा पं० तं० वेउब्वियसरीरा य अवेउब्वियसरीरा य, तत्थ णं जे से वेउच्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थ णं जे से अवेउब्वियसरीरे असुरकुमारे देवे से णं नो पासादीए जाव नो पढिरूबे, से केणट्टेणं भंते! एवं बुच्चइ तत्थ णं जे से वेडव्वियसरीरे तं चैव जाव पडिरूवे ?, गोयमा ! से जहानामए-इहं मणुयोगंसि दुवे पुरिसा भवंति - एगे पुरिसे अलंकियविभूसिए एगे पुरिसे अणलंकियविभूसिए, एएसि णं गोयमा ! दोन्हं पुरिसाणं कयरे पुरिसे पासादीए जाव पडिरूवे कयरे पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरूवे जे वा से पुरिसे अलंकियविभूसिए जे वा से पुरिसे अणलंकियविभूसिए ?, भगवं ! तत्थ जे से पुरिसे अलंकियविभूसिए से पुरिसे पासादीए जाव पडिरूबे, तत्थ णं जे से पुरिसे अणलंकियविभूसिए से णं पुरिसे नो पासादीए जाव नो पडिरुवे से तेणट्टेणं जाब नो पडिरूवे, दो भंते! नागकुमारा देवा एमंसि नागकुमारावासंसि एवं चेव, एवं जाव धणियकुमारा, वाण मंतर जोतिसियवेमाणिया एवं चैव । ६२७। दो भंते! नेरतिया एगंसि नेरतियावासंसि नेरतियत्ताए उपवना, तत्थ णं एगे नेरइए महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चेव एगे नेरइए अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पयेयणतराए चैव से कहमेयं भंते! एवं १, गोयमा ! नेरइया दुबिहा पं० तं०- मायिमिच्छादिट्टिउववनगा य अमायिसम्म दिउववनगा य, तत्थ णं जे से मायिमिच्छादिट्टिउबवन्नए नेरइए से णं महाकम्मतराए चेव जाव महावेयणतराए चैव तत्थ णं जे से अमाथिसम्मदिट्टिउववन्नए नेरइए से णं अप्पकम्मतराए चेव जाव अप्पवेयणतराए चेव, दो भंते! असुरकुमाराः एवं चैव, एवं एगिंदियविगलिंदियवज्जा जाव वैमाणिया । ६२८ । नेरइए णं भंते! अनंतरं उब्वट्टित्ता जे भविए पंचिंदियतिरिक्खजोणिएस उववज्जित्तए से णं भंते! कयरं आउयं पडिसंवेदेति ?, गोयमा नेरइयाउयं पडिसंवेदेति पंचिंदियतिरिक्स जोणियाउए से पुरओकडे चिट्ठति, एवं मणुस्सेसुवि, नवरं मणुस्साउए से पुरओकडे चिट्ठद्द, असुरकुमारा णं भंते! अनंतरं उच्चट्टित्ता जे भविए पढवीकाइएस उववज्जित्तए पुच्छा, गो० ! असुरकुमाराउयं पढिसंवेदेति पुढवीकाइयाउए से पुरओकडे चिडड़, एवं जो जहिं भविओ उबवजित्तए तस्स तं ओकडं चिति जत्थ ठिओ तं पडिसंवेदेति जाव वैमाणिए, नवरं पुढवीकाइए पुढवीकाइएस उववज्जति पुढवीकाइयाउं पडिसंवेएति अन्ने य पुढवीकाइयाउए पुरओकडे चिइति एवं जाब मणुस्सो सट्टाणे उवबाएयव्बो, परद्वाणे तब । ६२९ । दो भंते! असुरकुमारा एगंसि असुरकुमारावासंसि असुरकुमारदेवत्ताए उववशा तत्थ णं एगे असुरकुमारे देवे उज्जयं विउब्विस्सामीति उज्जयं विउब्वाइ वकं विउब्विस्सामीति वकं विउब्वइ जं जहा इच्छइ त तहा बिउब्वइ एगे असुरकुमारे देवे उज्जयं विउब्विस्सामीति वकं विउव्वद वकं विउब्विस्सामीति उज्जुयं विउब्बइ जं जहा इच्छति णो तं तहा बिउब्बड़ से कहमेयं भंते! एवं?, गोयमा ! असुरकुमारा देवा दुबिहा पं० तं मायिमिच्छा दिउिबवनगा य अमाथिसम्मदिट्टी उपवनगा य, तत्थ णं जे से मायिमिच्छादिडिडववन्नए असुरकुमारे देवे से णं उज्जयं विडब्बिस्सामीति वकं विउव्यति जाव णो तं तदा बिउब्बइ, तत्थ णं जे से अमायिसम्मदिडिउववनए असुरकुमारे देवे से उज्जुयं विॐ० जाव तं तहा विउव्वइ, दो भंते! नागकुमाराः एवं चैव एवं जाव थणियकुमारवाणमंतरजोइसियवेमाणिया एवं चेव सेवं भंते रत्ति । ६३० ॥ श० १८३०५॥ काणियगुले णं भंते! कतिवन्ने कतिगंधे कतिरसे कतिफासे पं० १, गोयमा एत्वं दो नया भवंति तं० निच्छदयनए य वावहारियनए य, बाबहारियनयस्स गोड्डे फाणियगुले नेच्छइयनयस्स पंचवने दुगंधे पंचरसे अट्ठफासे, भमरे णं भंते! कतिवन्ने ? पुच्छा, गोयमा एत्यं दो नया भवति तं निच्छनए य वाबहारियनए य, वाचहारियनयस्स कालए भमरे नेच्छइयनयस्त्र पंचवले जाव अडफासे, सुयपिच्छे णं भंते! कतिवन्ने० एवं चैव नवरं वावहारियनयस्स नीलए सुयपिच्छे नेच्छयनयस्म पंचवण्णे सेसं तं चैव एवं एएवं अभिलावेणं लोहिया मंजिडिया पीतिया हालिदा सुकिलए संखे सुग्भिगंधे कोडे दुष्भिगंधे मयगसरीरे तित्ते निंत्रे कडुया सुंठी कसाए कविडे अंबा अंबिलिया महुरे खंडे कक्खडे वइरे मउए नवणीए गरुए अए लहुए उदयपत्ते सीए हिमे उसिणे अगणिकाए णिद्धे तेले, छारिया णं भंते! पुच्छा, गोयमा ! एत्थ दो नया भवंति तं० निच्छइयनए य वावहारियन एय, व्यावहारियनयस्स लुक्खा छारिया नेच्छइयनयस्स पंचना जाव अट्ठफासा । ६३१ । परमाणुपोम्गले णं भंते! कतिवन्ने जाव कतिफासे पं० १. गोयमा! एगवन्ने एगगंधे एगरसे दुफासे पं०, दुपएसिए णं भंते! खंधे कतिवन्ने० पुच्छा, गोयमा! सिय एगवन्ने सिय दुवन्ने सिय एगगंधे सिय दुगंधे सिय एगरसे सिय दुरसे सिय दुफासे सिय तिफासे सिय चउफासे पं० एवं तिपएसिएऽवि नवरं सिय एगवन्ने सिय दुबन्ने सिय तिबन्ने, एवं रसेसुवि, सेसं जहा दुपएसियस्स, एवं चउपएसिएऽवि नवरं सिय एगवन्ने जाब सिय चवन्ने, एवं रसेसुवि सेसं तं चैव एवं पंचपएसिएऽवि, नवरं सिय एगवन्ने जाव सिय पंचबन्ने एवं रसेसुवि, गंधफासा तहेव, जहा पंचपएसओ एवं जाव असंखेजपएसिओ, सुदुमपरिणए णं भंते! अणतपएसिए ३३० श्रीभगवत्यंगं सत-१८ मुनि दीपरत्नसागर

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